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शार्क टैंक इंडिया में पहुंची गढ़वाल की ‘नमकवाली’, जजेज को भाया उत्तराखंड के पिस्यूं लूंण का स्वाद

सोनी के शार्क टैंक इंडिया कार्यक्रम में में उत्तराखंड की नमकवाली की धूम दिखी. 'नमकवाली' अपने पारंपरिक नमक पिस्यूं लूंण को लेकर शार्क टैंक इंडिया पहुंची.

‘टाटा नमक होगा, देश का नमक…हमारा नमक तो पिस्यूं लूंण (पहाड़ी नमक) है’ सोशल मीडिया पर ये लाइनें अक्सर पढ़ने को मिल जाती हैं। पहाड़ी नमक के स्वाद को सिर्फ शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वहीँ अब पिस्यूं लूंण को देश-दुनिया में पहुंचाने वाली शशि बहुगुणा रतूड़ी ने एक और शानदार उपलब्धि हासिल की है. सोनी के शार्क टैंक इंडिया कार्यक्रम में में उत्तराखंड की नमकवाली की धूम दिखी. ‘नमकवाली’ अपने पारंपरिक नमक पिस्यूं लूंण को लेकर शार्क टैंक इंडिया पहुंची. इस दौरान ‘नमकवाली’ की पिच सुनकर शार्क टैंक इंडिया के जज बहुत प्रभावित दिखाई दिये. शार्क टैंक इंडिया के सभी जजेज ने ‘नमकवाली’ के प्रयासों को जमकर सराहा. महिलाओं सशक्तिकरण के लिए किये जा रहे उनके कामों की भी जमकर तारीफ की. टिहरी की रहने वाली शशि बहुगुणा रतूड़ी छोटी उम्र से ही सामाजिक कामों में जुट. उन्होंने कई सामाजिक संगठनों से जुड़कर कई गंभीर मुद्दों जैसे कि पर्यावरण, नारी-सशक्तिकरण पर काम किया. पहाड़ी संस्कृति को सहेजने के लिए भी उन्होंने काम किया. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की. इसके लिए 1982 में महिला नवजागरण समिति बनाई.

समिति के ज़रिए कई मुहिम चलाई. पहाड़ों की संस्कृति और कलाओं को सहेजना इसका मुख्य उद्देश्य था. ग्रामीणों को रोजगार भी इससे मिला. उन्होंने ‘नमकवाली’ की शुरुआत 2 महिलाओं के साथ की. बिजनेस बढ़ने के बाद महिलाओं का बड़ा समूह इसमें काम कर रहा है. वे पहाड़ में प्राकृतिक रूप से नमक को तैयार करते हैं. जिसे पहाड़ी भाषा में पिस्युं लूंण कहते हैं. वे फ्लेवर्ड नमक भी बनाते हैं. इसमें लहसुन वाला नमक, अदरक वाला नमक, भांग वाला नमक शामिल है. ये नमक ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिये देश दुनिया के कोने कोने में पहुंचता है. ‘नमकवाली’ नमक तैयार करने में लगभग 10 चीजों का इस्तेमाल होता है. ऑर्गेनिक तरीके से नमक को सिलबट्टे पर पीसा जाता है. इस नमक को ऑर्डर के अनुसार बनाया जाता है. 50 ग्राम, 100 ग्राम, 200 ग्राम के पैकेट्स में पैक किया जाता है.

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