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उत्तराखंड के लिए गौरवशाली पल, दो वीर सपूतों को मिला सेना मेडल..पढ़िए वीरता की कहानी

अदम्य साहस और बहादुरी के लिए उत्तराखंड के दो जांबाज पिथौरागढ़ के मेजर हितेश खरायत और बागेश्वर के मेजर प्रशांत भट्ट को वीरता के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया है.

उत्तराखंड के लिए गौरवान्वित करने वाली खबर सामने आ रही है. अदम्य साहस और बहादुरी के लिए उत्तराखंड के दो जांबाज पिथौरागढ़ के मेजर हितेश खरायत और बागेश्वर के मेजर प्रशांत भट्ट को वीरता के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया है. लखनऊ छावनी में आयोजित मध्य कमान अलंकरण समारोह-2024 में दोनों जांबाजों को सेना मेडल दिया गया. सम्मान कार्यक्रम के अवसर पर आठ वीरता पुरस्कार और 11 विशिष्ट सेवा पुरस्कार प्रदान किए. साथ ही 17 इकाइयों को उनकी पेशेवर उत्कृष्टता के लिए जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ यूनिट प्रशंसा के साथ-साथ पांच सूर्या कमांड ट्राॅफी भी प्रदान की गई. मेजर प्रशांत भट्ट ने 2022 में आतंकवादियों की मौजूदगी के संबंध में खुफिया जानकारी के आधार पर अनंतनाग जिले के एक जंगली इलाके में ऑपरेशन शुरू किया गया था. मेजर प्रशांत भट्ट एक छोटी टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जिसे स्टॉप तैनात करने और लक्ष्य पर कड़ी निगरानी का काम सौंपा गया था. मेजर प्रशांत सावधानीपूर्वक योजना बनाते हुए सामरिक कौशल से अंधेरे की आड़ में अपनी टीम के साथ आगे बढ़े. संदिग्ध गतिविधि देखने पर वह आतंकियों पर नजरें बनाए रहे. इस दौरान उन्हें एक आतंकवादी अपने ठिकाने से नाले की ओर जाते हुआ दिखा. जिससे आतंकवादियों की उपस्थिति की पुष्टि हुई. इसके बाद भारी गोलीबारी के बीच मेजर प्रशांत ने पहले आतंकवादी को मार गिराया. उनके इस असाधारण बहादुरी के उन्हें सेना मेडल (वीरता) से सम्मानित किया गया.

पिथौरागढ़ के रहने वाले मेजर हितेश खरायत ने वर्ष 2022 में जम्मू में सोच-समझकर योजना बनाने के बाद आतंकवादियों की गतिविधियों को रोकने के लिए अपने दल का नेतृत्व किया. उन्होंने सशस्त्र आतंकवादी को अपनी ही टुकड़ी की ओर बढ़ते हुए देखा. चुनौती दिए जाने पर उग्रवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर घेरा तोड़ने की कोशिश की. अपने कौशल का प्रदर्शन करते हुए मेजर हितेश ने वीरतापूर्ण कदम उठाते हुए तुरंत अपना कवर छोड़ दिया और आतंकवादी पर सटीक गोलीबारी की. एक आतंकवादी को नजदीक से मार गिराया. एक अन्य आतंकवादी जो ओवर ग्राउंड वर्कर को ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हुए घने पत्तों में छिपा हुआ देखा. मेजर ने सभी को गोली न चलाने के निर्देश दिए और अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना उसको पकड़ लिया. उन्होंने इस ऑपरेशन का नेतृत्व करते हुए दो आतंकवादियों को मार गिराया और एक को जिंदा पकड़ा. साथ ही दो असॉल्ट राइफलें, एक पिस्तौल और भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद किया. विशिष्ट बहादुरी, अदम्य भावना और अनुकरणीय नेतृत्व प्रदर्शित करने के लिए मेजर हितेश खरायत को सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया है.

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