राष्ट्रपति के ट्वीट से चर्चा में आईं उत्तराखंड की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी, जानिए कौन है बिशनी देवी साह?
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उत्तराखंड प्रवास को पूरा करने के बाद ट्वीट कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बागेश्वर की मूल निवासी बिशनी देवी साह के स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए योगदान को याद किया.
देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले गुमनाम नायकों का जब जिक्र होगा, तो बिशनी देवी साह को जरूर याद किया जाएगा. अल्मोड़ा की रहने वालीं बिशनी देवी उत्तराखंड की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं. आजादी की लड़ाई में जेल जाने वालीं वह पहली महिला भी थीं. वहीँ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उत्तराखंड प्रवास को पूरा करने के बाद ट्वीट कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बागेश्वर की मूल निवासी बिशनी देवी साह के स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए योगदान को याद किया.
राष्ट्रपति ने कहा बिशन साह ने स्वाधीनता संग्राम के दौरान अल्मोड़ा नगरपालिका भवन पर तिरंगा लहराया और गिरफ्तार की गई. वह साधारण परिवार की अल्पशिक्षित महिला थी लेकिन भारत के स्वाधीनता संग्राम को उनके द्वारा दिया गया योगदान असाधारण है. बिशनी देवी का जन्म12 अक्टूबर, 1902 को बागेश्वर में हुआ था. 13 साल की उम्र में अल्मोड़ा निवासी शख्स से उनकी शादी हो गई थी. जब वह 16 साल की थीं, तो उनके पति का निधन हो गया था. जिसके बाद मायके और ससुराल वालों ने उन्हें ठुकरा दिया था.कुमाऊं के अल्मोड़ा में पहली बार बिशनी देवी ने ही तिरंगा फहराया था. आजादी की लड़ाई में वह जेल भी गईं. 73 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी.