हर साल सामान्य परिस्थितियों में लगभग साढ़े तीन करोड़ लोग उत्तराखंड में आते हैं. इनमें बड़ी संख्या चारधाम समेत अन्य धार्मिक स्थलों में दर्शन के लिए आने वाले यात्रियों की होती है. इस परिदृश्य के बीच अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को यहां वाहनों की पार्किंग की समस्या से जूझना पड़ता है. राज्य में चारधाम मार्ग के प्रमुख पड़ावों के साथ ही कुमाऊं के कई कस्बों में आबादी और पर्यटकों का दबाव तेजी से बढ़ रहा है. इस वजह से आए दिन बाजारों में जाम लगता रहता हे. वहीं सरकार ने अब इस विषय को गंभीरता से लिया है. बता दें की पिछले दिनों मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु ने बैठक में टनल पार्किंग की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे.
इसके तहत शासन ने सभी जिलों के डीएम को पत्र भेजकर टनल पार्किंग की रिपोर्ट मांगी है. सभी पर्वतीय जिलों के डीएम ऐसे पार्किंग स्थलों को चिह्नित करके बताएंगे, जिसके आधार पर आगे का काम होगा. वहीं अपर मुख्य सचिव शहरी विकास आनंद बर्धन ने बताया कि सभी जिलों से रिपोर्ट आने के बाद टनल पार्किंग की दिशा में आगे का काम किया जाएगा. बता दें की गुप्तकाशी, चमोली, अगस्त्यमुनि, श्रीनगर, उत्तरकाशी, चंबा, चमियाला, पौड़ी, गोपेश्वर, मसूरी, नैनीताल, रानीखेत, बागेश्वर, अल्मोड़ा, भीमताल, धारचूला, रामनगर इन शहरों का चयन पर्यटन के नजरिए से किया गया है. हालांकि डीएम की रिपोर्ट के बाद ही टनल पार्किंग की जरूरत और चिह्नित स्थानों की स्थिति साफ हो पाएगी.
वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में टनल बेस्ड पार्किंग के संदर्भ में उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक व भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो एमपीएस बिष्ट का कहना है कि टनल मौजूदा वक्त की जरूरत है. इसीलिए पूरी दुनियां में इस पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन यह काम पूरे भूगर्भीय अध्ययन के बाद ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हिमायल भूकंपीय व भूगर्भीय दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है. ऐसे में हर क्षेत्र के विस्तृत अध्ययन के बाद ही इस परियोजना पर काम शुरू किया जाना चाहिए.