उत्तराखंडरुद्रप्रयाग

शिव-पार्वती का विवाह स्थल त्रियुगीनारायण को बनाया जाएगा वेडिंग डेस्टिनेशन, शादी के लिए BKTC की अनुमति जरूरी

शिव-पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप विकसित किया जाएगा.

रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग मुख्यालय से 83 किमी दूर त्रियुगीनारायण मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था, जिसकी साक्षी यहां अखंड ज्योति है जो तीन युगों से अनवरत जल रही है. वही अब शिव-पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप विकसित किया जाएगा. यहां विवाह आयोजन के लिए अब बीकेटीसी की अनुमति जरूरी होगी. अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी. इसके लिए श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति नियमावली तैयार करने में जुट गई है. रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से 13 किमी की दूरी पर स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर भगवान शिव-पार्वती की विवाह स्थली है. देव विवाह के साक्षात प्रमाण यहां मौजूद हैं, जिसमें तीन युगों से अनवरत जल रही अखंड ज्योति और वह पत्थर हैं, जिसमें पर्वतराज हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का कन्यादान किया था.

साथ ही अन्य कई प्रमाण भी हैं. इस विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी. त्रियुगीनारायण मंदिर, श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन है. अब बीकेटीसी इस देव विवाह स्थली को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने जा रही है. यहां, अब विवाह आयोजन के लिए इच्छुक लोगों को श्रीबदीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की अनुमति लेनी होगी. अनुमति के लिए उन्हें आवेदन करना होगा, जिसमें विवाह का कार्ड, आधार कार्ड, फोटो पहचानपत्र सहित अन्य दस्तावेज भी देने होंगे. इसके बाद, समिति आवेदन पत्र के आधार पर सभी दस्तावेजों की जांच कर स्वीकृति प्रदान करेगी. मंदिर समिति विवाह आयोजन को लेकर नियमावली बनाने में जुट गई है. साथ ही आवेदन प्रक्रिया को भी ऑनलाइन करने के लिए वेबसाइट व ईमेल आईडी तैयार की जा रही हैं. हालांकि, अभी इच्छुक विवाह के लिए यहां ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं, जिसके लिए समिति ने केदारनाथ मंदिर के कार्याधिकारी को नोडल और त्रियुगीनारायण मंदिर के प्रबंधक को सहायक नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया है.

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