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शहादत पर गर्व: कश्मीर में शहीद हुआ देवभूमि का लाल, जवान की अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब

शनिवार को दोपहर बाद बलिदानी प्रवीण सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पुंडोली पहुंचा. पार्थिव शरीर के पहुंचने पर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया.

उत्तराखंड के लाल प्रवीन सिंह गुसाईं जम्मू-कश्मीर के शोपियां में देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए मां भारती की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए शनिवार को दोपहर बाद बलिदानी प्रवीण सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पुंडोली पहुंचा. पार्थिव शरीर के पहुंचने पर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. उन्‍हें श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी. वहीं ग्रामीणों ने शहीद के सम्मान में नारे तो लगाए ही, पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाज़ी भी की. वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और सैन्य कल्याण मंत्री ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी.इस दौरान अपने बलिदानी पिता की तस्‍वीर पकड़े छह साल के वंश को देख हर किसी का दिल पसीज गया. 

बता दें की प्रवीण सिंह 2011 में 15 वीं गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए थे और वर्तमान में 12 वीं राष्ट्रीय राइफल (आरआर) में तैनात थे. भिलंगना ब्लाक के पुंडोली गांव निवासी 32 वर्षीय सैनिक प्रवीण गुरुवार को सेना के एक सर्च आपरेशन में थे. इसी दौरान वह आतंकियों के आइईडी ब्‍लास्‍ट में घायल हो गये थे. उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उपचार दौरान उनकी मौत हो गयी. सेना के अधिकारियों ने प्रवीण के पिता सेवानिवृत्त सैनिक प्रताप सिंह को इसकी सूचना दी तो घर में कोहराम मच गया. बेटे की मौत की खबर के बाद से मां बेसुध है और पिता का भी रो रो कर बुरा हाल है. वहीं सैन्य कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने दिवंगत शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ग्रामीणों जिस तरह भी चाहेंगे, उनकी भावनाओं के अनुरूप शहीद प्रवीन सिंह के नाम पर किसी स्कूल या सड़क का नामकरण किया जाएगा. 

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