उत्तराखंडटिहरी गढ़वाल

गढ़वाल की इससे बुरी हालत क्या होगी? प्रसव पीड़ा से तड़प रही गर्भवती ने अस्पताल पहुंचने से पहले तोड़ा दम

साल बदलते हैं, सरकारें बदलती हैं, लेकिन पहाड़ की महिलाओं के हालात नहीं बदल रहे. स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों की कीमत पहाड़ की महिलाओं को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है.

सुरक्षित प्रसव हर महिला का अधिकार है. सरकार जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए जननी सुरक्षा योजना चला रही है, लेकिन पहाड़ के दूरस्थ इलाकों में महिलाएं आज भी खेतों-सड़कों पर बच्चे जनने को मजबूर हैं. साल बदलते हैं, सरकारें बदलती हैं, लेकिन पहाड़ की महिलाओं के हालात नहीं बदल रहे. स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों की कीमत पहाड़ की महिलाओं को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है, लेकिन शासन की नींद नहीं टूट रही. अब टिहरी में ही देख लें. यहाँ लचर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण प्रतापनगर में एक और गर्भवती महिला की मौत हो गई. प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने उसे बुधवार सुबह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौंड लंबगांव पहुंचाया, लेकिन तीन घंटे बाद जब महिला की हालत बिगड़ने लगी तो उसे जिला अस्पताल बौराड़ी के लिए रेफर कर दिया, लेकिन महिला ने रास्ते में डोबरा में दम तोड़ दिया. तीन माह पहले भी आठ अक्तूबर को भी प्रतापनगर ब्लाॅक के ओनालगांव की एक गर्भवती महिला की मौत हो गई थी. जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है. स्थानीय लोगों की ओर से लगातार मांग किए जाने पर भी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो पा रही है. इसका खामियाजा गर्भवती महिलाओं के साथ ही अन्य मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.  जिले में स्वास्थ्य सेवाएं ठीक नहीं होने के कारण प्रतापनगर ब्लाॅक के ग्राम हेरवाल गांव की एक गर्भवती महिला की मौत हो गई. 

परिजनों ने बताया कि बुधवार सुबह रामचंद्री देवी (32) पत्नी धनपाल को प्रसव पीड़ा होने पर उसे सुबह नौ बजे सीएचसी चौंड पहुंचाया गया था. वहां तैनात डॉक्टर ने सामान्य प्रसव होने की बात कही, लेकिन दोपहर करीब 12 बजे जब रामचंद्री की हालत बिगड़ने लगी तो डाॅक्टर ने उसे रेफर करने की सलाह देते हुए आपातकाल एंबुलेंस सेवा 108 को फोन किया.करीब पौने एक बजे एंबुलेंस अस्पताल पहुंची और गर्भवती को लेकर जिला अस्पताल बौराड़ी के लिए रवाना हुई. चांठी के पास उसे दूसरी एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया. वहां से कुछ दूर जाते ही डोबरा के पास गर्भवती ने दम तोड़ दिया. महिला के साथ बौराड़ी अस्पताल पहुंची रामचंद्री की भाभी सीता देवी ने बताया कि उसे पहले ही रेफर कर देते तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी. उन्होंने बताया कि रामचंद्री का यह चौथा प्रसव था, उसका एक बेटा नौ साल और एक बेटी तीन साल की है. एक बेटी की पैदा होते ही मौत हो गई थी. कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि प्रतापनगर में स्वास्थ्य सेवाएं खासी बदहाल है. इससे पहले पिछले आठ अक्तूबर को ओनालगांव की गर्भवती देवकी देवी (28) पत्नी जगमोहन की इसी स्थिति में मौत हो गई थी. उन्होंने सीएचसी चौंड में स्त्री रोग विशेषज्ञ और सर्जन की नियुक्ति करने की मांग की है. गर्भवती महिला की मौत के बारे में अस्पताल की ओर से बताया गया है कि प्रसव वेदना के दौरान उसे मृगी का दौरा पड़ गया था. ऐसी स्थिति आने पर केस काफी रिस्की हो जाता है. हालांकि इससे पहले महिला को मृगी आने की हिस्ट्री नहीं है. मामले की जांच की जा रही है.

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