उत्तराखंडपौड़ी गढ़वाल

अब घर बैठे ले सकते हैं ‘पहाड़ी अंजीर’ का स्वाद,  बेडू से बने उत्पाद की हुई लॉन्चिग

पहाड़ी अंजीर (बेडू) द्वारा निर्मित उत्पादों को बाजर में उतारने के लिए जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ.आशीष चौहान की अगुवाई में जिला मुख्यालय स्थित एनआईसी कक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

‘बेड़ू पाको बारा मासा’ गाना उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकगीत है, जिसका मतलब है कि बेड़ू  ऐसा फल है जो पहाड़ों में 12 महीने पकता है. बेड़ू उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला जंगली फल है, जिसे पहाड़ी अंजीर भी कहते हैं. पहाड़ी फल बेड़ू का अब लोग घर-घर स्वाद ले पाएंगे. पहाड़ी अंजीर (बेडू) द्वारा निर्मित उत्पादों को बाजर में उतारने के लिए जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ.आशीष चौहान की अगुवाई में जिला मुख्यालय स्थित एनआईसी कक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में 1 लाख 5 हजार रुपये के पहले कन्सायनमेन्ट/प्रेषण के तहत देहरादून के होटल ह्यात् व कौडियाला के होटल ताज, देहरादून के हिलांश स्टोर सहित चारधाम यात्रा मार्गा पर बने अन्य स्टोरों के लिए जेम व चटनी के कुल 1000 प्रोडक्ट भेजे गये.

सोमवार को आयोजित पहाड़ी अंजीर (बेडू) द्वारा निर्मित उत्पादों के लॉन्चिग कार्यक्रकम में पहले ऑर्डर के तहत जिलाधिकारी गढ़वाल द्वारा विभिन्न प्रतिष्ठित होटलों व स्टोरों के लिए बेडू से बने उत्पादों चटनीं व जैम के एक हजार उत्पाद का प्रेषण किया गया. गौरतलब पहाड़ के जंगली फल बेडू को पहचान दिलाने के लिए जिलाधिकारी द्वारा किये गये प्रयासों को देश के प्रधानमंत्री जी द्वारा मन की बता में भी जिक्र करते हुए सराहा जा चुका है. जनपद में ग्रामीण उद्यम वेग वृद्वि परियोजना (रीप) के सहयोग से उमंग स्वायत्त सहकारिता समूह पौड़ी द्वारा विभिन्न प्रतिष्ठानों की मांग के अनुरुप एक सप्ताह में जैम व चटनी के एक हजार प्रोडक्ट तैयार किये गये.रीप परियोजना के तहत जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से ₹25-30 प्रति किलों की दर से बेडू खरीदकर उमंग स्वायत्त सहकारिता समूह को प्रोसेसिंग हेतु भेजा जाता है.

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