उत्तराखंडपौड़ी गढ़वाल

अंकिता भंडारी को एक साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ, आज भी अनसुलझी है अंकिता हत्याकांड की गुत्थी

अंकिता भंडारी हत्याकांड को एक साल हो गया है लेकिन उत्तराखंड की इस बेटी को अब तक न्याय नहीं मिला है. अंकिता के माता-पिता अब भी उसे न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं.

अंकिता भंडारी हत्याकांड को एक साल हो गया है लेकिन उत्तराखंड की इस बेटी को अब तक न्याय नहीं मिला है. अंकिता के माता-पिता अब भी उसे न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं. बेटी का जिक्र करते हुए उनकी आंखों में पानी आ जाता है, जबान लड़खड़ाने लगती है लेकिन बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए उनके हौसले बुलंद हैं. इस मामले में तीन आरोपी भले ही सलाखों के पीछे हों. लेकिन, आज भी यह पूरा मामला रहस्य बना है.अंकिता के मां-बाप आज भी अपनी बेटी के हत्यारों को सख्त से सख्त सजा देने की गुहार लगा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पौड़ी जिले के डोभ श्रीकोट के रहने वाले वीरेंद्र भंडारी कहते हैं कि बेटी को खोने का गम जिंदगी भर रहेगा लेकिन सिस्टम का उन्हें साथ नहीं मिला. सरकार ने गांव तक सड़क पहुंचाने और बेटे को सरकारी नौकरी दिलाने का भरोसा किया था लेकिन एक साल होने को है. ये मांगें अब तक पूरी नहीं हुई है. राज्य सरकार ने अंकिता भंडारी के नाम पर डोभ (श्रीकोट) कॉलेज का नाम रखने का फैसला किया है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 16 सितंबर को इस संबंध में एक्स पर लिखा, ‘हमारी सरकार ने राजकीय नर्सिंग कॉलेज डोभ (श्रीकोट) का नाम दिवंगत बेटी अंकिता भण्डारी के नाम पर रखे जाने का निर्णय लिया है. हम बेटी अंकिता के परिजनों के साथ खड़े हैं और प्रदेश की हर बेटी का सम्मान और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु संकल्पबद्ध हैं.’ बता दें कि लगभग एक साल पहले उनकी बेटी यमकेश्वर के वनंतरा रिजॉर्ट में काम करती थी. वह वहीं से लापता हो गई थी. अंकिता का शव 24 सितंबर को पुलिस ने चीला नहर से बरामद किया था. आरोप है कि रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता ने मिलकर अंकिता की हत्या की थी. आरोप है कि उनके साथ दरिंदगी भी की गई थी. अंकिता का मामला कोर्ट में चल रहा है. अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. एसआईटी की ओर से इस हत्याकांड में 97 गवाह बनाए गए हैं जिनमें से 19 लोगों की अब तक गवाही हो चुकी है.

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