सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है उत्तराखंड की ये पहाड़ी दाल, सर्दियों में जरूर करें ट्राई
गहत की दाल, पहाड़ की दालों में अपनी विशेष तासीर के कारण खास स्थान रखती है. यह दाल गुर्दे के रोगियों के लिए अचूक दवा मानी जाती है.
दालें तो आपने बहुत सी खाई होंगी लेकिन उत्तराखंड में पहाड़ की गहत की दाल जिसे स्थानीय घौत की दाल भी कहते हैं, उसका स्वाद सबसे जुदा है. गहत की दाल, पहाड़ की दालों में अपनी विशेष तासीर के कारण खास स्थान रखती है. यह दाल गुर्दे के रोगियों के लिए अचूक दवा मानी जाती है. उत्तराखंड में 12,319 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है. पहाड़ में सर्द मौसम में गहत (घौत) की दाल लजीज मानी जाती है. प्रोटीन तत्व की अधिकता से यह दाल शरीर को ऊर्जा देती है, साथ ही पथरी के उपचार की औषधि भी है. आपको बता दें कि गर्म तासीर के कारण ठण्डे मौसम में इसकी दाल गुणकारी मानी जाती है और सर्दियों में ज्यादातर इस्तेमाल होती है. स्वाद एवं पौष्टिकता से लबरेज पहाड़ की एक ऐसी दाल, जो औषधीय गुणों से भरपूर तो है ही, इससे अनेक प्रकार के लजीज व्यंजन भी तैयार होते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार गहत की दाल मे एंटीहाइपर ग्लाइसेमिक गुण पाए जाते है जो कि पेट की पथरी का कारगर इलाज है. गहत की दाल एक ऐसी दाल है जिसका नियमित सेवन से शरीर मे मौजूद पथरी कुछ ही दिनो में खत्म हो सकती है.
गहत में पर्याप्त मात्रा मे एंटी ऑक्सीडेंट्स पाये जाते है, जो कि पाचन क्रिया को दुरुस्त करने मे सहायक होते हैं. वैज्ञानिक शोध के अनुसार गहत की दाल टाइप-2 डायबिटीज पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. गहत की दाल में मौजूद रेजिस्टेंस स्टार्स की उपस्थिति में यह कार्बोहाइड्रेट के पाचन को धीमा कर इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करके पोस्टपेंडिअल हाइपरग्लाइसीमिया (भोजन के बाद ब्लड शुगर की अधिकता) को कम करता है. गहत का सूप फैट बर्निंग एजेंट के रूप मे कार्य करता है. इसके नियमित सेवन से मोटापे के बढ़ते स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है. गहत की दाल मे प्लेवोनॉयड तत्व भी पाया जाता है जो कि एंटी डायरिया तथा एंटी अल्सर के रूप मे कार्य करता है. गहत की दाल मे प्रचुर मात्रा मे फाइटिक एसिड तथा फिनोलिक एसिड भी पाया जाता है जिसका प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में सर्दी, खांसी, जुखाम, गले के संक्रमण आदि समस्याओ से निपटने में किया जाता है. इसके अलावा गहत की दाल से अनेक लजीज व्यंजन भी बनाए जाते है, जिनमें गहत का पराठा, गहत का पटुडी, गहत का गथवाणी, गहत का फाणु, गहत के डुबके आदि प्रमुख हैं. गहत के पौधो की जड़ों में नाइट्रोजन फिक्सेशन का गुण भी पाया जाता है.