पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में एक रहस्यमयी गुफा मिली है. ये गुफा अब तक की सबसे विशाल गुफा बताई जा रही है. इस गुफा को चार स्थानीय युवाओं ने खोजा है और महाकालेश्वर नाम दिया है. ये गुफा शैल पर्वत क्षेत्र की गुफाओं वाली घाटी गंगोलीहाट में प्रसिद्ध सिद्धपीठ हाटकालिका मंदिर से लगभग एक किमी दूर मिली है. ये अद्भुत सुंदरता से भरपूर है. बताया जा रहा है कि गुफा के आठ तल है. गुफा के भीतर चट्टानों में विभिन्न पौराणिक चित्र उभरे हैं. शिवलिंग पर चट्टान की तरफ से पानी भी गिर रहा है. स्थानीय जनता इसे प्रमुख आस्था का केंद्र मान रही है.
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार गंगोलीहाट में प्रसिद्ध सिद्धपीठ हाटकालिका मंदिर के पास प्रकृति प्रदत महाकालेश्वर गुफा अपने आप में कई रहस्यों को छुपाए हुए है.गंगावली क्षेत्र के शैल पर्वत शिखर पर मानस खंड में 21 गुफाओं का जिक्र है. जिसमें दस गुफाओं का पता चल चुका है. ये गुफा उनमें से एक है. रविवार को गंगोलीहाट के गंगावली वंडर्स ग्रुप के सुरेंद्र सिंंह बिष्ट, ऋषभ रावल, भूपेश पंत और पप्पू रावल ने गुफा में प्रवेश किया. गुफा खोजने वाले युवाओं ने इस गुफा को महाकालेश्वर नाम दिया है. माना जा रहा है कि यह प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा से भी बड़ी हो सकती है.
गुफा के आकार को देखते हुए दंग रह गए. चारों गुफा में दो सौ मीटर भीतर तक पहुंचे है. क्षेत्र की अन्य गुफाओं की तरह यहां भी चट्टानों पर पौराणिक आकृतियां उभरी हैं. शिवलिंग की आकृति पर चट्टान से पानी टपक रहा है. इसके अलावा शेषनाग व अन्य पौराणिक देवी, देवताओं के चित्र भी उभरे हैं. गुफा के अंदर सबसे पहले जाने वाले सुरेंद्र ने बताया कि वह प्रवेश करते ही पहले करीब 35 फीट गहराई में उतरे. फिर प्राकृतिक रूप से बनी करीब आठ फीट की सीढिय़ां मिली. आगे बढऩे पर इसी तरह आठ तल तक सीढ़ी और समतल भाग से होकर आगे बढ़े. इसमें नौवां तल भी था लेकिन वहां पहुंच नहीं सके. गुफा करीब 200 मीटर लंबी है. गुफा के अंदर पर्याप्त आक्सीजन है.