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उत्तराखंड में एक करोड़ की शराब बरामद, लोकसभा चुनाव में खपाने की थी योजना

गदरपुर में पुलिस ने अंग्रेजी शराब से भरे कैंटर वाहन को पकड़ लिया। दो आरोपी भी धर दबोच. पकड़ी गई शराब की अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब एक करोड़ रुपये कीमत आंकी गई है.

उधमसिंह नगर के गदरपुर में पुलिस ने अंग्रेजी शराब से भरे कैंटर वाहन को पकड़ लिया. दो आरोपी भी धर दबोच. पकड़ी गई शराब की अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब एक करोड़ रुपये कीमत आंकी गई है. अंदेशा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के चलते शराब को उत्तर प्रदेश ले जाया जा रहा था. शुक्रवार को एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने थाना पहुंचकर घटना का खुलासा किया. पत्रकार वार्ता में एसएसपी मंजूनाथ ने बताया कि बृहस्पतिवार की मध्य रात करीब 12 बजे सकैनिया चौकी के एसआई भूपेंद्र सिंह रंसवाल पुलिस टीम के साथ चौराहे पर चेकिंग कर रहे थे. इसी दौरान टीम ने मसीत की ओर से आ रहे कैंटर वाहन (यूपी22 बीटी-2263) को रोका. इस पर कैंटर चालक पुलिस को देख वाहन को गदरपुर की ओर भगाने का प्रयास करने लगा. पुलिस ने बैरियर पर कैंटर को रोक लिया. कैंटर सवार ग्राम तालनपुर, थाना भोट उत्तर प्रदेश निवासी सोनू व धर्मपाल से कैंटर में लदे सामान के बारे में पूछा तो उन्होंने गत्ता और प्लाई होना बताया. इस पर एसआई ने कागजात मांगे तो चालक कोई भी कागजात नहीं दिखा सका. जिसके बाद पुलिस टीम ने त्रिपाल हटाकर जांच की तो उसमें अंग्रेजी शराब की 745 पेटियां भरी हुई मिलीं.

एसएसपी ने बताया कि अंग्रेजी शराब और कैंटर को कब्जे में लेकर दोनों आरोपियों के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में पकड़ी गई शराब की कीमत लगभग एक करोड़ रुपये है. जिसे आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत रामपुर उत्तर प्रदेश में भंडारण के लिए अवैध रूप से ले जाया जा रहा था. उन्होंने अंग्रेजी शराब के जखीरे को पकड़ने वाली टीम को ढ़ाई हजार रुपये का इनाम व सकैनिया चौकी के एसआई भूपेंद्र सिंह रंसवाल को मैन ऑफ द मंथ घोषित करने का ऐलान किया. वहां एसपी अभय प्रताप सिंह, सीओ अनुष्का बढौला थानाध्यक्ष भुवन चंद जोशी मौजूद थे. गदरपुर एक करोड़ कीमत की अंग्रेजी शराब मिलने के बाद सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि पुलिस के पास किसी भी व्यक्ति का न तो फोन आया और न ही किसी ने अभी तक जानकारी लेने का प्रयास किया. महज कैंटर के चालक और हेल्पर के जानकार लोगों ने पुलिस से मुलाकात की. अंग्रेजी शराब का मालिक कौन है, इसका अभी तक पता नहीं चल सका है. पुलिस के एक उच्च अधिकारी का कहना था, कि अगर पुलिस छोटे-मोटे मामले में हाथ डालती हैं, तो मोबाइल फोनों की घंटियां बजने लगती हैं लेकिन इस मामले में पुलिस को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा.

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