उत्तराखंड में पखवाड़े भर तक चली कांवड़ यात्रा ने अपने समापन के साथ यहां के लोगों को बड़ी चिंता में डाल दिया है. हरिद्वार में कांवड़ यात्रा का यह महोत्सव तकरीबन 35 हजार मीट्रिक टन कचरा छोड़ गया है, जिसकी वजह से यहां सांस लेना मुश्किल हो रहा है. जूते-चप्पल से लेकर प्लास्टिक के गद्दे और कपड़े तक शहर और खासतौर पर नदी के घाटों के आसपास बिखरे पड़े हैं. जिसकी सफाई करना नगर निगम प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती बना है. हालांकि, नगर निगम प्रशासन की ओर से सफाई अभियान शुरू कर दिया गया है. उसका कहना है कि सफाई व्यवस्था को जल्द पटरी पर ला दिया जाएगा. चार जुलाई से शुरू हुए कांवड़ मेले में चार करोड़ से भी ऊपर कांवड़ यात्रियों ने हर की पैड़ी से जल भरा है. पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की कड़ी मेहनत से कांवड़ मेला भी सकुशल संपन्न हो गया है.
लेकिन कांवड़ मेले में कांवड़ यात्रियों की ओर से शहर को गंदा कर दिया गया है. जिससे गंगा घाटों के साथ ही तमाम क्षेत्रों में जगह-जगह कूड़े और प्लास्टिक की पन्नी के ढेर लगे हैं. रोड़ी बेलवाला, पंतद्वीप, ऋषिकुल मैदान, हर की पैड़ी क्षेत्र और गंगा किनारे फैली गंदगी की दुर्गंध से बुरा हाल है. इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का भी खतरा पैदा हो गया है. हालांकि, कांवड़ मेला क्षेत्र में प्रशासन की ओर से कूड़ेदान लगाए गए थे, लेकिन कूड़ेदान पटने से उनके किनारे कूड़ा पड़ा हुआ है. गंगा घाट भी कूड़े से भरे हैं. प्लास्टिक के ढेर जहां-तहां पड़ा है. नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती का कहना है कि कांवड़ मेला संपन्न होने के बाद पूरे मेला क्षेत्र में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव शुरू कर दिया गया है. कूड़ा उठाने के लिए वाहनों को लगाया गया है. जल्द ही घाटों समेत शहर को स्वच्छ कर दिया जाएगा. बता दें कि इस साल की कांवड़ यात्रा ने पिछले सभी सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. चार करोड़ 7 लाख कांवड़िये इस बार पहुंचे हैं. जबकि पिछले साल तीन करोड़ 80 लाख कांवड़िये हरिद्वार पहुंचे थे.