किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई… मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई… मुनव्वर राना का ये शेर आपने आप में ये बताने के लिए काफी है कि आज देश में मां-बाप की हालत क्या है. आज बच्चे अपने माता-पिता को एक बोझ की तरह देख रहे हैं. ऐसा बोझ जिसे वो ढोना नहीं चाहते. सहारा बनने के बजाय बुजुर्ग मां-बाप को न केवल परेशान करते हैं, बल्कि कई बार उन्हें सड़कों पर बेसहारा भी छोड़ देते हैं. हरिद्वार के रहने वाले ऐसे ही छह बुजुर्गों की ओर से बच्चों के खिलाफ एसडीएम कोर्ट में दायर वाद की सुनवाई हुई. जिसमे हरिद्वार एसडीएम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ऐसे छह बुजुर्गों के बच्चों को माता-पिता की संपत्ति से बेदखल करते हुए एक महीने के अंदर घर खाली करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर पुलिस प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा गया है. आपको बता दें की माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एसडीएम कोर्ट में अपने बच्चों के खिलाफ वाद दायर कर सकता है.
अधिनियम की धारा के तहत एसडीएम की ओर से सुनवाई के बाद बच्चों को उनकी संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है. एसडीएम पूरण सिंह राणा ने ज्वालापुर, कनखल और रावली महदूद में रहने वाले छह बुजुर्गों की ओर से कोर्ट में दायर वाद में बताया कि उनके बच्चे उनके साथ ही रहते हैं, लेकिन न तो उनकी कोई सेवा करते हैं और न ही खाना देते हैं. उल्टे उनके साथ मारपीट कर प्रताड़ित करते हैं. जिसके चलते उनका जीवन नर्क से भी बदतर हो गया है. वरिष्ठ नागरिकों की ओर से अपने बच्चों से राहत दिलाने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई गई थी. इन बच्चों को अपनी चल और अचल संपत्ति से बेदखल कर घरों से बाहर निकालने की मांग की गई थी. बुजुर्गों की याचिका पर सुनवाई करते हुए एसडीएम पूरण सिंह राणा ने सभी छह मामलों में बच्चों को माता-पिता की संपत्ति से बेदखल करने का फैसला सुनाया है. साथ ही 30 दिन के भीतर घर खाली करने के आदेश दिए. फैसले में कहा गया कि यदि यह लोग घर खाली नहीं करते हैं तो संबंधित थाना प्रभारियों को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए कहा है.