कौन हैं उत्तराखंड के भारामल मंदिर के महंत, जिनकी हत्या के गवाह की भी 20 दिनों के अंदर मौत
खटीमा में कुछ दिन पूर्व हुई भारमल बाबा और उनके सहयोगी की हत्या के चश्मदीद गवाह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है.
खटीमा के भारामल मंदिर के महंत श्रीहरिगिरि महाराज और सेवादार रूप सिंह बिष्ट की हत्या के खुलासे में चश्मदीद गवाह नन्हे को महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा था. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद नन्हे से पुलिस सुरक्षा में दोबारा पूछताछ हो चुकी थी. बुधवार को डीआईजी योगेंद्र रावत के खटीमा पहुंचने पर भी नन्हे से पूछताछ हुई थी. लेकिन अब नन्हे की मौत के साथ दोहरे हत्याकांड से जुड़े कई राज दफन हो गए हैं. इससे हत्याकांड के खुलासे में जुटी पुलिस की जांच भी प्रभावित होेने की आशंका है. चार जनवरी की मध्यरात्रि नकाबपोश बदमाशों ने लाठी-डंडों से पीटकर महंत श्रीहरिगिरि महाराज और सेवादार रूप सिंह बिष्ट की नृशंस हत्या कर दी थी. इसमें सेवादार जगदीश और नन्हे बच गए थे. जगदीश से पुलिस को जांच में मदद न मिलने के कारण पुलिस घटना के संबंध में नन्हे से जानकारी जुटाती रही. पुलिस अभिरक्षा में खटीमा उप जिला अस्पताल में भर्ती नन्हे से पुलिस टीमों ने लगातार पूछताछ की.
डिस्चार्ज होने के बाद नन्हे को निर्वाण आश्रम लाया गया. हत्याकांड के खुलासे को लेकर सभी टीमों ने नन्हे से पूछताछ कर जानकारी जुटाई. बुधवार को भी झनकईया में थाने डीआईजी योगेंद्र रावत की मौजूदगी में नन्हे से पूछताछ होने के बाद उसे निर्वाण आश्रम में बाबा रामगिरि और सेवादार शंकर की सुपुर्दगी में सौंपा गया था. दोहरे हत्याकांड के खुलासे में नन्हे महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा था लेकिन बुधवार रात संदिग्ध हालात में नन्हे की मौत के साथ ही हत्याकांड से जुड़े कई राज भी दफन हो गए हैं. ऐसा माना जा रहा है कि नन्हे की मौत से पुलिस आगे की जांच भी प्रभावित हो सकती है. एसएसपी डॉ. मंजूनाथ टीसी ने कहा कि दोहरे हत्याकांड में नन्हे चश्मदीद गवाह था. वह रात के समय नाले के पार क्यों जा रहा था, यह जांच का विषय है.