आत्महत्या…. इस शब्द को सुनते ही वाकई एक अजीब सी सिरहन पैदा हो जाती है. ये बेहद चिंता की बात है कि आत्महत्या के केसों में दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. लोग बिना सोचे-समझे, अपने परिजनों की चिंता किए बगैर ही अपनी जिंदगी एक झटके में समाप्त कर देते हैं. वहीं उत्तराखंड राज्य की बात करें तो राज्य में भी आत्महत्या के कई केस सामने आ रहे हैं. डिप्रेशन में लगातार युवा वर्ग आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं. बागेश्वर जिले में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला. जहां अग्निवीर सेना भर्ती की लिखित परीक्षा में असफल होने पर एक युवक ने जहर खाकर जान दे दी. उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर अपनी हताशा को भी शेयर किया. आपको बता दें की भर्ती परीक्षा का परिणाम सोमवार को जारी हुआ था. ग्राम मल्लादेश निवासी कमलेश गोस्वामी (20) पुत्र हरीश गिरी गोस्वामी 3 साल से सेना भर्ती की तैयारी कर रहा था.
वह अक्तूबर में रानीखेत में हुई अग्निपथ योजना के तहत आयोजित अग्निवीर सेना भर्ती में शामिल हुआ था. लिखित परीक्षा का परिणाम सोमवार को आया जिसमें वह असफल हो गया था. अग्निवीर परीक्षा में सफल न होने पर कमलेश ने खुद का रोते हुआ वीडियो बनाया और ज़हर खाकर खा लिया . कमलेश के ज़हर खाने की जानकारी जैसे ही उसके परिजनों को उसके व्हाट्सएप स्टेटस से लगी उन्होंने उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुचाया जहा से उसको डाक्टरों ने जिला अस्पताल रेफर किया. जिसके बाद सोमवार की रात लगभग 11:30 बजे उसने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया. आखिर 20 साल की उम्र क्या होती है. यही वो उम्र होती है जब बच्चे नई-नई दुनिया देखते हैं मगर कमलेश ने अपनी जिंदगी के आगे विराम लगाना ही मुनासिब समझा. आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी कि युवक ने अपनी ही जिंदगी का इतना दर्दनाक तरह से अंत कर दिया. उसके इस कदम के बाद से ही उसके घर मे हड़कंप मच रखा है. सभी लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है.
अग्निवीर बनने की चाहत का सपना पाले कमलेश के जीवन में किससे और कहां पर चूक हुई कि उसे अग्निवीर का परिणाम घोषित होते ही अपनी जीवन लीला समाप्त करने की आवश्यकता पड़ी. कमलेश इतना क्षुब्ध क्यों हुआ कि अग्निवीर में चयन न होने की जानकारी होते ही कमलेश ने ऐसा कदम क्यों उठाया कि उसे अपने गरीब और वृद्ध माता-पिता की क्या हालत होगी यह याद तक नहीं रहा. कमलेश की आत्महत्या कई सवाल छोड़ गई है. कमलेश के स्वजनों ने बताया कि कमलेश के परिवार की माली हालत सही नहीं है. उसके माता-पिता गांव में ही रहकर मेहनत मजदूरी करते हैं. जबकि बड़े भाई ने तीन दिन पूर्व ही जीविकोपार्जन के लिए दुकान खोली थी. छोटा भाई मुंबई में होटल में मजदूरी करता है. कमलेश को बचपन से ही सेना में जाने की इच्छा थी. इसके लिए वह नियमित रूप से तैयारी करता था. सरकार ने अग्निवीर के पदों पर नियुक्ति निकाली. वह काफी उत्साहित था. उसकी इच्छा थी कि चार वर्ष की सेवा में वह देश सेवा करने के साथ ही परिवार की आर्थिकी भी सही कर लेगा. इसके बाद अपने माता-पिता की सेवा करेगा. नियति को यह मंजूर नहीं हुआ. उसे इस दौर से गुजरना पड़ा कि उसने अपनी जीवन लीला ही समाप्त करने की ठान ली. अपने परिवार समेत संगी साथियों को रोता विलखता छोड़ गया.