उत्तराखंड

उत्तराखंड में CM पुष्कर सिंह धामी समेत 44 विधायकों ने नहीं दिया संपत्ति का ब्यौरा

उत्तराखंड के 71 विधायकों में से मुख्यमंत्री सहित 44 विधायकों ने अपना संपत्ति विवरण ही विधानसभा को नहीं दिया है

देशभर में भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए स को खासी तवज्जो दी जा रही है, लेकिन लगता है उत्तराखंड विधानसभा के अधिकांश सदस्यों की इसमें रुचि नहीं. यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि  उत्तराखंड के 71 विधायकों में से मुख्यमंत्री सहित 44 विधायकों ने अपना संपत्ति विवरण ही विधानसभा को नहीं दिया है. यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है. हालांकि, माननीयों को विधानसभा में अपनी संपत्ति का ब्यौरा हर साल देना जरूरी होता है. आपको बता दें की काशीपुर निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता और सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने विधानसभा से इस बारे में सूचना मांगी थी. विगत 22 फरवरी के दी गई सूचना के अनुसार इस बार विधायक बनने के बाद कोई भी सम्पत्ति विवरण न देने वाले विधायकों की सूची में 44 नाम हैं. इनमें सीएम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मंत्री सुबोध उनियाल, अरविन्द पाण्डे, रेखा आर्य, बंशीधर भगत, यतीश्वरानन्द और विशन सिंह चुफाल के साथ ही नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का नाम भी इस सूची में शामिल है.

सूचना के अनुसार पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत, राजकुमार, सुरेन्द्र सिंह नेगी, मनोज रावत, विनोद कण्डारी, विजय सिंह पंवार, मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव सिंह पुण्डीर हरबंस कपूर, आदेश चौहान, सुरेश राठौर, ममता राकेश, देशराज कर्णवाल, फुरकान अहमद, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, काजी मो.निजामुद्दीन, संजय गुप्ता, ऋतु खण्डूडी भूषण, दलीप सिंह रावत, हरीश सिंह, मीना गंगोला, महेश सिंह नेगी, करन माहरा, गोविन्द सिंह कुंजवाल, राम सिंह कैड़ा, दीवान सिंह बिष्ट, आदेश सिंह चौहान, राजकुमार ठुकराल, राजेश शुक्ला, सौरभ बहुगुणा, प्रेम सिंह, मुन्नी देवी शाह, चन्द्र पंत, महेश सिंह जीना, जीआई जी मैन विधायकों ने एक बार भी संपत्ति का ब्योर विधानसभा को नहीं दिया है. इसके अलावा 20 विधायक ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी संपत्ति का प्रथम अनुसूची का विवरण तो दिया है लेकिन द्वितीय अनुसूची का संपत्ति अर्जन और व्ययन का वार्षिक विवरण नहीं दिया है.

इन विधायकों में प्रेमचन्द्र अग्रवाल, केदार सिंह रावत, गणेश जोशी, बलवंत सिंह भौर्याल, सतपाल महाराज, विनोद चमोली, हरभजन सिंह चीमा, खजान दास, धन सिंह रावत, चन्दन राम दास, भरत सिंह चौधरी, मदन कौशिक, महेंद्र भट्ट, पूरन सिंह फर्त्याल, कैलाश चन्द्र गहतोड़ी, यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह पंवार, रघुनाथ सिंह चौहान, संजीव आर्य, हरक सिंह रावत शामिल हैं. साथ ही नदीम ने बताया कि उत्तरप्रदेश मंत्री और विधायक (आस्तियों तथा दायित्वों का प्रकाशन) अधिनियम 1975 की धारा 3 के अनुसार मंत्रियों और विधायकों का नियुक्त या निर्वाचित होने के तीन माह के अंदर विधानसभा सचिव को अपनी संपत्ति दायित्वों का विवरण देने का कर्तव्य है. इसके बाद धारा 4 के अनुसार हर साल 30 जून तक पूर्व वर्ष की संपत्ति प्राप्ति, खर्च व दायित्वों का विवरण देना होता है, जिसे गजट में आम जनता की सूचना के लिये प्रकाशित किया जाना आवश्यक है. उत्तराखंड गठन से ही बड़ी संख्या में विधायक व मंत्री इस कानून का पालन नहीं कर रहे हैं, जबकि पारदर्शिता तथा भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिये ऐसा किया जाना जनहित में आवश्यक है.

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