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देवभूमि के इस हनुमान धाम में पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना, जानिए यहाँ का पौराणिक इतिहास

उत्‍तराखंड कोटद्वार क्षेत्र में हनुमान जी का प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर स्थित है. मान्‍यता है कि यहां आने वाले हर भक्‍त की इच्‍छा पूरी होती है.

उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है, शायद इसीलिए इसे देवभूमि भी कहते हैं. उत्‍तराखंड कोटद्वार क्षेत्र में हनुमान जी का प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर स्थित है. मान्‍यता है कि यहां आने वाले हर भक्‍त की इच्‍छा पूरी होती है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां भंडारा कराने के लिए सालों का इंतजार करना पड़ता है. मान्‍यता है कि यहां आकर मनचाही इच्‍छा पूरी होने के बाद भक्‍त भंडारा करवाते हैं, लेकिन यहां होने वाले भंडारे के लिए वर्षों पहले बुकिंग करनी पड़ती है, यानी आज बुकिंग होगी तो कुछ वर्ष बाद ही भंडारा लगेगा. आपको बता दें की कोटद्वार स्थित श्री सिद्धबली धाम हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. बजरंग बली जी के इस पौराणिक मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी है.सिद्धबली बाबा के दर्शन को देश एवं विदेश से श्रद्धालु यहां उमड़ते हैं और मंदिर में मत्था टेककर मनोकामना मांगते हैं.

बाबा अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते. मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु मंदिर में भंडारा कर भोग लगाते हैं. भंडारे के आयोजन के लिए मंदिर समिति की ओर से बुकिंग की जाती है. भंडारा बुकिंग काउंटर में मौजूद कर्मचारी बताते हैं कि रविवार, मंगलवार और शनिवार को विशेष भंडारा होता है. रविवार और मंगलवार के भंडारा आयोजन 2025 तक बुक हो चुके हैं. कहते हैं कलयुग में हनुमान जी ही ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों पर सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. सिद्धबली मंदिर भी हनुमान जी को समर्पित है. आगे सिद्धबली मंदिर का पौराणिक इतिहास जानिये..पौराणिक अभिलेख बताते हैं कि यहां पर बजरंग बली ने रूप बदल कर गुरु गोरखनाथ का रास्ता रोक लिया था. दोनों में कई दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ. जब दोनों में से कोई पराजित नहीं हुआ तो हनुमान जी अपने रूप में आए और सिद्धबाबा से वरदान मांगने को कहा. सिद्धबाबा ने हनुमान जी से यहीं रहने की प्रार्थना की, जिसके बाद सिद्धबाबा और बजरंग बली के नाम पर इस स्थान का नाम ‘सिद्धबली’ पड़ा. यहां आज भी मान्यता है कि बजरंग बली अपने भक्तों की मदद करने को साक्षात रूप में यहां विराजमान रहते हैं.

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