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LGBTQ राइट, लिव-इन, कंसेंट, शादी की उम्र…उत्तराखंड के यूसीसी ड्राफ्ट में क्या-क्या है, जानें

जस्टिस देसाई ने बताया कि कमेटी ने लैंगिक समानता के साथ ही भेदभाव को खत्म कर सभी वर्गों को समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है.

उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता (UCC) की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है. राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए बनाई गई समिति ने अपना काम पूरा कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश और मसौदा तैयार करने वाली एक्सपर्ट कमेटी की प्रमुख जस्टिस रंजना प्रकाश ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. जस्टिस देसाई ने बताया कि कमेटी ने लैंगिक समानता के साथ ही भेदभाव को खत्म कर सभी वर्गों को समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि ने प्रस्तावित यूसीसी के मसौदे में एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के अधिकारों पर विचार किया है. हालांकि, इन्हें सिफारिश का हिस्सा नहीं बनाया गया है क्योंकि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है और इस पर फैसला आना बाकी है.

इंडिया टु़डे ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पैनल ने शादी की एक समान उम्र, लिव-इन रिलेशनशिप और ऐसे रिश्तों से पैदा होने वाले बच्चों, विवाह के पंजीकरण, सेक्स के लिए सहमति (कंसेंट) की उम्र, कम उम्र में बच्चे के जन्म जैसे मुद्दों को ध्यान में रखा है. महिलाओं के लिए शादी की उम्र बढ़ाने को लेकर भी ड्राफ्ट में विचार किया गया है. जस्टिस (रिटायर्ड) रंजना देसाई ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट जल्द ही प्रकाशित की जाएगी और सरकार को सौंप दी जाएगी. उन्होंने बताया कि समिति ने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित विभिन्न पारंपरिक प्रथाओं की ‘बारीकियों’ को समझने की कोशिश की है. हमारा जोर महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित करना है. हमने भेदभाव को खत्म कर सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है. देसाई ने कहा कि समिति ने मुस्लिम देशों सहित विभिन्न देशों में मौजूदा कानूनों का अध्ययन किया है लेकिन उनके नाम साझा करने से इनकार कर दिया. 

उत्तराखंड के सीएम पुष्‍कर सिंह धामी ने कहा कि  UCC कमेटी पिछले एक साल से काम कर रही है. कमेटी समाज के अलग-अलग वर्गों से बात की है, सबके विचार जानी है. डॉफ्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है. विधान सभा चुनाव से पहले आम चुनाव में जनता से संकल्‍प किया था कि उत्‍तराखंड में नई सरकार बनने पर UCC को लागू कर दिया जाएगा. संविधान के तहत ही तैयार हो रहा डॉफ्ट 

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सीएम धामी ने कहा कि हम किसी पंथ, धर्म के खिलाफ UCC नहीं ला रहे हैं. हम भारत के संविधान के तहत ही समान ही काम कर रहे हैं. संविधान के तहत ही समान नागरिक संहिता कानून ला रहे हैं. वहीं, बढ़ती जनसंख्‍या को लेकर कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है. उत्‍तराखंड का एक मूल स्‍वरूप है. यह पूरी दुनिया के लिए सांस्‍कृति और आध्यात्मिक का केंद्र है. इसका मूल स्‍वरूप बना रहना चाहिए. उत्‍तराखंड में शांति से रहने वाले लोग हैं. भारत के संविधान को लेकर चलने वाले लोग हैं.

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