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उत्तराखंड में जमीन के नीचे हो रही भयानक हलचल, विज्ञानियों ने चेताया- कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान का ताजा शोध बताता है कि उत्तराखंड के बाकी क्षेत्रों से इतर चमोली जिले की जमीन 10 गुना भूकंपीय ऊर्जा बाहर निकाल रही है.

तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप  से भी बड़ा भूकंप उत्तराखंड क्षेत्र में भी आने की आशंका है. हालांकि वैज्ञानिक अभी इसके समय के बारे में ठीक जानकारी नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन इसकी वार्निंग दे दी गयी है. यह भूकंप कभी भी आ सकता है. चमोली जिला जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के बाद से देशभर में चिंता और चिंतन के केंद्र में है. अब चमोली जिला भूकंप की संवेदनशीलता के लिहाज से चर्चा में आता दिख रहा है. यूं तो समूचा उत्तराखंड ही भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है, लेकिन चमोली जिला अधिक चिंता बढ़ता दिख रहा है. वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान का ताजा शोध बताता है कि उत्तराखंड के बाकी क्षेत्रों से इतर चमोली जिले की जमीन 10 गुना भूकंपीय ऊर्जा बाहर निकाल रही है. वाडिया संस्थान के ताजा शोधपत्र में निदेशक कालाचाँद साईं समेत वरिष्ठ विज्ञानी डा अनिल तिवारी आदि के मुताबिक चमोली क्षेत्र की भूमि की संवेदनशीलता की स्थिति के आकलन के लिए उत्तराखंड क्षेत्र में 5500 भूकंपों का अध्ययन किया गया.

वर्ष 1999 से 2020 के बीच के इन भूकंपों में 511 में सिर्फ भूकंपीय ऊर्जा का आकलन किया गया. अध्ययन में शामिल किए गए भूकंपों की तीव्रता दो से लेकर 5.7 मैग्नीट्यूट थी. अध्ययन में पता चला कि राज्य के अन्य क्षेत्रों में भूकंप से 10 से 12 बार (दाब मापने की इकाई) की ऊर्जा बाहर निकली, जबकि चमोली क्षेत्र में यह ऊर्जा 90 से 100 बार तक भी रही. वरिष्ठ विज्ञानी डा तिवारी के मुताबिक यह स्थिति बताती है कि चमोली के भूगर्भ में न सिर्फ अधिक ऊर्जा संचित हो रही है, बल्कि वह उसी अनुपात में बाहर भी निकल रही है. इस शोध में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानी अजय पॉल, राकेश सिंह व राजीव उपाध्याय शामिल रहे. वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा तिवारी के मुताबिक चमोली में सतह से 12 से 14 किलोमीटर की गहराई में ठोस चट्टानें और गर्म तरल भूकंपीय ऊर्जा को बढ़ाने का काम कर रहे हैं. 

इस तरह यहां की भौगोलिक व भूगर्भीय संरचना अन्य क्षेत्रों के मुकाबले भिन्न है वरिष्ठ विज्ञानी डा अनिल तिवारी के मुताबिक चमोली जिले में जो भी भूकंप का रहे हैं, उनका स्रोत एक ही फाल्ट है. सभी भूकंप जोशीमठ के पास हेलंग से गुजर रही ऐतिहासिक फाल्टलाइन एमसीटी (मेन सेंट्रल ट्रस्ट) के दक्षिण में आ रहे हैं. बड़े भूकंप की आशंका तब बलवती हो जाती है, जब भूकंप का श्रोत एक ही फाल्टलाइन हो. प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में आ रहे भूकंपों में ऐसी स्थिति नहीं है. वरिष्ठ विज्ञानी डा अनिल तिवारी के मुताबिक भूकंप के दौरान बाहर निकलने वाली ऊर्जा का मापन ब्राडबैंड सिस्मोमीटर के माध्यम से किया जाता है. सिस्मोमीटर भूकंपीय तरंगों को रिकार्ड करता है, साथ ही इनकी प्रकृति व भूगर्भ में हुए रप्चर (टूटन) के आधार पर बाहर निकल रही ऊर्जा की क्षमता का आकलन किया जाता है.

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