उत्तराखंडस्वास्थ्य

क्लाईमेट चेंज का असरः 30 से 50 फीसदी पेड़-पौधों की प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर 

देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के पथरीबाग कैंपस के सभागार में बायो डावर्सिटी को लेकर सोमवार को एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें गोस्लिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर प्लांट प्रिजर्वेशन (ग्रिप) के डायरेक्टर एवं ग्वैल्फ विश्वविद्यालय कनाडा के प्लांट एग्रीकल्चर विभाग के प्रो. प्रवीन कुमार सक्सेना ने पेड़ पौधों से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि आने वाले 10 साल बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसमें 30 से 50 फीसदी वनस्पतियों की प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।

उन्होंने कहा कि सैपलिंग या क्लोन तकननीक से लुप्त होने वाले पौधौं को बचाया जा सकता है। इस तरह के सफल प्रयोग हमारे विश्वविद्यालय में हुए हैं। अमेरिकन ऐल्म ट्री 1950 के दौरान बहुत था लेकिन बाद में डेड हो गया। 97 प्रतिशत तक खतम हो गया था लेकिन बाद मे क्लोन तकनीक से यह दोबारा पुनर्जीवित किया गया। यही नहीं उनके यहां 107 साल पुराने अमेरिकन एल्म का क्नोन बनाया गया और इसके 200 ट्रीज प्लांट किए जा चुके हैं।

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उन्होंने कहा कि बायो डावर्सिटी बचाने के लिए हमारे पास केवल 10 साल हैं। सिक्स मास एक्सटिंगसन के कारण 30-50 प्रतिशत प्लांट क्लाइमेट बदलाव के कारण मर रहे है। प्लांट ग्रोथ और बायोडावर्सिटी को बचाना है इसी के कारण वह एसजीआरआर विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि सीपीआर मॉडल से प्लांट रि-जेनरेट कर सकते हैं।

व्याख्यान का शुभारंभ परंपरागत रूप से दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। इस मौके पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद सकलानी, प्रो. जेपी पचौरी, रजिस्ट्रार डॉ. लोकेश गंभीर, एग्रीकल्चरल साइंसेज की डीन प्रो. प्रियंका बनकोटी, डीन स्टूडेंट वेल्फेयर प्रो. मालविका सती कांडपाल, प्रो. द्वारका प्रसाद मैठानी सहित बड़ी संख्या में फैकल्टी सदस्य और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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