देशस्वास्थ्य

सावधान : ब्रेक ऑयल से बने कफ सिरप बाजार में

जहरीले कफ सिरप से मासूमों की मौत: अब तक 11 बच्चों की जान गई

छिंदवाड़ा-सीकर में दवा से जुड़ी त्रासदी, सरकारों ने कंपनी पर कसा शिकंजा

मध्यप्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप लेने के बाद बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते 25 दिनों में दोनों राज्यों में कुल 11 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। शुरुआती जांच में सिरप में जहरीला केमिकल डाइथिलीन ग्लाइकोल (DEG) मिलने की आशंका जताई गई है, जिसका इस्तेमाल ब्रेक ऑयल और एसी कूलेंट में होता है। भारत में यह केमिकल दवाओं में पूरी तरह प्रतिबंधित है।

छिंदवाड़ा में सात मासूमों की मौत

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बीते पखवाड़े सात बच्चों की मौत हो चुकी है। 7 सितंबर को पहला मामला सामने आया जब पांच वर्षीय अदनान खान को तेज बुखार और उल्टी के बाद नागपुर रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने दोनों किडनी फेल होने की पुष्टि की। इसके बाद लगातार नए मामले सामने आए। जांच में पाया गया कि Coldrif और Nextro-DS नामक कफ सिरप में खतरनाक टॉक्सिन मौजूद था।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी ‘ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट’ की मौजूदगी सामने आई। प्रशासन ने तत्काल दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी है और नमूने ICMR व नागपुर लैब में भेज दिए गए हैं।

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राजस्थान में भी दो बच्चों की मौत

राजस्थान के सीकर जिले में भी मुफ्त दवा योजना के तहत मिले जेनेरिक कफ सिरप से दो बच्चों की मौत हो चुकी है। पांच वर्षीय नितीश सिरप लेने के बाद अचानक बेहोश हुआ और फिर नहीं उठ पाया। सरकार ने आपूर्ति करने वाली कंपनी कायसन्स फार्मा के सभी उत्पादों पर रोक लगाकर गहन जांच के आदेश दिए हैं। यह कंपनी पहले भी ब्लैकलिस्ट हो चुकी है।

कमलनाथ ने सरकार को घेरा

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा – “अपने कार्यकाल में मैंने शुद्धता के लिए युद्ध जैसा अभियान चलाया था। मौजूदा सरकार भी तत्काल विशेष अभियान चलाए और प्रदेश में बिक रही दवाओं व खाद्य पदार्थों की शुद्धता सुनिश्चित करे।”

सिस्टम पर उठे सवाल

यह त्रासदी प्रदेश की दवा निगरानी व्यवस्था और खाद्य एवं औषधि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। परासिया के एसडीएम सौरभ कुमार यादव ने बताया कि अब तक 1,400 से अधिक बच्चों की जांच की जा चुकी है और प्रतिदिन 120 बच्चों की जांच जारी है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वे अयोग्य डॉक्टरों से इलाज न कराएं और किसी भी संदिग्ध मामले की तुरंत सूचना प्रशासन को दें।

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