पौड़ी गढ़वाल
कालागढ़ डैम क्षेत्र में स्थित 213 परिवारों को अब अपना बसेरा छोड़ना होगा, क्योंकि उनका इलाका वन भूमि घोषित हो चुका है। उत्तराखंड वन विकास निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इस क्षेत्र को लेकर वर्षों से चल रहे विवाद पर अब प्रशासनिक कार्रवाई तेज हो गई है।
जंगल भूमि पर बसा था पूरा गांव
कालागढ़ डैम के समीप 213 परिवारों ने वन भूमि पर बस्ती बसाई थी, जो अब हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार की नजर में अवैध अतिक्रमण के दायरे में आता है। पर्यावरण और वन विभाग के नियमों के तहत इस क्षेत्र को खाली करवाया जाना आवश्यक माना गया है।
विस्थापन प्रक्रिया शुरू
प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्हें अन्यत्र स्थान पर पुनर्वास देने की योजना बनाई जा रही है, लेकिन अभी तक स्थान निर्धारण और मुआवज़े को लेकर स्पष्टता नहीं है।
लोगों में असमंजस और नाराज़गी
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे दशकों से यहां रह रहे हैं, और अब अचानक उन्हें क्षेत्र खाली करने को कहा जा रहा है। न तो वैकल्पिक स्थान की जानकारी दी गई है, न ही उचित मुआवज़े की बात की गई है।
प्रशासन का पक्ष
प्रशासन का कहना है कि यह क्षेत्र कानूनी रूप से वन भूमि है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है। साथ ही यह भी आश्वासन दिया गया है कि विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी।
स्थिति अभी संवेदनशील बनी हुई है। प्रशासन और ग्रामीणों के बीच संवाद की प्रक्रिया जारी है। आने वाले दिनों में विस्थापन को लेकर निर्णय और साफ होंगे।