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उत्तराखंड: एक घंटे तक 80 फीट की ऊंचाई पर अटकी रही केबल कार, बच्चों और पर्यटकों में मची चीख-पुकार

उत्तराखंड के नैनीताल में गुरुवार को बड़ा हादसा होने से बच गया. दरअसल छह विदेशी पर्यटकों समेत 12 लोगों को ले जा रही एक केबल कार का एक पहिया टूटने से वह बीच रास्ते में ही रुक गई.

उत्तराखंड के नैनीताल में गुरुवार को बड़ा हादसा होने से बच गया. दरअसल छह विदेशी पर्यटकों समेत 12 लोगों को ले जा रही एक केबल कार का एक पहिया टूटने से वह बीच रास्ते में ही रुक गई. जिससे 9 विदेशी पर्यटक सहित 4 स्कूली बच्चे लगभग 1 घंटे तक हवा में झूलते रहे. इस दौरान बच्चे घबराकर चिल्लाने लगे. किसी तरह से इन सभी को 80 फीट की ऊंचाई से रस्सी के सहारे बचाया गया. नैनीताल के मल्लीताल से स्नो व्यू के बीच चलने वाली केबल कार में जा रहे विदेशी पर्यटक और स्कूली बच्चे 1 घंटे तक हवा में झूलते रहे. तकनीकी कारणों के चलते यह केबल कार स्टैंड से लगभग 50 मीटर की दूरी पर अटक गई. केबल कार जब आगे नहीं बढ़ी तो पर्यटकों और बच्चों ने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया. कंपनी के कर्मचारी ने इस गड़बड़ी की सूचना अपने अधिकारियों को दी. जिसके बाद लगभग 80 फीट की ऊंचाई से इन सभी को रस्सियों के सहारे जमीन पर उतारने के लिए रेस्क्यू अभियान चलाया गया.

रेस्क्यू दल ने जिन्होंने ट्रॉली के निचले हिस्से से रस्सियों के सहारे विदेशी पर्यटकों को और बच्चों को नीचे उतारा. नैनीताल में चलने वाली रोपवे का संचालन कुमाऊँ मंडल विकास निगम करता है. टीम मैनेजर शिवम शर्मा ने बताया कि उनके कर्मचारियों ने कोई उपकरण टूटने की आवाज सुनी जिसके बाद ट्रॉली को रोक दिया गया. तकनीकी खराबी के कारण ट्रॉली आधे रास्ते में ही रुक गई थी हालांकि यात्रियों को सुरक्षित इवेक्युएट कर लिया गया. विदित हो कि इस रोपवे का निर्माण वर्ष 1985 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी ने करवाया था. यह ट्रॉली इलेक्ट्रिक वायर केबल सिस्टम से चलती है. यह तारों के साथ बैरिंग और पुलिंग सिस्टम पर आधारित है. इससे पहले 13 अप्रैल 2013 को भी ट्रॉली का कंपोनेंट खराब हुआ था, जिसके कारण 9 छात्र-छात्राएं इसमें फंस गए थे. दूसरी बार 9 जून को बिजली जाने और जनरेटर खराब होने के कारण ट्रॉली हवा में ही अटक गई थी. तब भी पर्यटकों को सुरक्षित इवेक्युएट किया गया था.

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