उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा किसी से भी छिप नहीं पाई है. आए दिन अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा मरीजों के साथ लापरवाही की जा रही है. वहीँ कई बेकसूर गर्भवती महिलाओं को बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है. अस्पताल में नई जिंदगी को जन्म देने वाली बेकसूर गर्भवती महिलाएं बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के कारण अपनी जान से हाथ धो रही हैं. बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दर्शाती शर्मनाक खबर हरिद्वार से सामने आ रही है जहां पर एक और गर्भवती अपनी जिंदगी की जंग लापरवाही में हार गई है.
कनखल थाना क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में रुक्मणी (33) पत्नी सतेंद्र निवासी भीखमपुर को मंगलवार को डिलीवरी के लिए भर्ती कराया गया था. बुधवार दोपहर गर्भवती की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी. उसे ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया. अपराह्न करीब शाम चार बजे गर्भवती की मौत हो गई. इसकी जानकारी मिलते ही परिवारजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई. महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया. आगे पढ़िए
सूचना पाकर महिला उपनिरीक्षक हेमलता पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंची और बमुश्किल उन्हें शांत कराया. स्वजन का आरोप है कि चिकित्सकों ने गर्भवती के इलाज में लापरवाही बरती है. इसके चलते गर्भवती और उसके गर्भ में पल रहे शिशु की मौत हो गई, जबकि पूरे रुपये जमा करा दिए गए थे. इसके बावजूद इलाज में लापरवाही बरती गई. वहीं अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को गलत बताते हुए दावा किया कि गर्भवती के पेट में पहले ही बच्चा मर गया था. गर्भवती का हीमोग्लोबिन कम था और ब्लीडिग नहीं रुक रही थी. पेट में शिशु मरा होने से इंफेक्शन का खतरा बना था. उन्होंने महिला को बचाने का पूरा प्रयास किया गया, लेकिन सफल नहीं हो सके. इंस्पेक्टर कनखल मुकेश चौहान ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है.