उत्तराखंड

पूर्व सीएम हरदा ने प्रेमचंद के विवादास्पद बयान को लेकर दिया बयान

पूर्व सीएम हरदा ने प्रेमचंद के विवादास्पद बयान को लेकर दिया बयान,बोले एक मंत्री का पहाड़ी मूल के लोगों के लिए दिया गया बयान बेहद दुखद

देहरादून

उत्तराखंड, प्रेमचंद के कुटिल, कुत्सित टिप्पणी से बहुत आहत है। लोग अनेका-अनेक प्रकार से अपना गुस्सा व्यक्त कर रहे हैं, उनके द्वारा प्रयुक्त शब्द घटिया मानसिकता को दर्शाते हैं। अच्छा हो भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उनके द्वारा प्रयुक्त कुटिल अपमानजनक शब्द के लिए क्षमा मांगे या इन शब्दों का प्रयोग करने वाले को कठोर दंड दे। घाव गहरा है। भगवान हमें उचित निर्णय लेने का साहस प्रदान करें।

विधानसभा में चर्चा में हस्तक्षेप करते हुये एक सम्मानित मंत्री का पहाड़ी मूल के लोगों के लिए अपमानजनक संबोधन अत्यधिक दुखद है। लेकिन इतना ही दु:खद सत्ता शीर्ष और भाजपा द्वारा इस मामले को दबाने और सारे मुद्दे को भटकाने की कोशिश है, आक्रोश स्वाभाविक है। जिस राज्य के लिए लोगों ने बलिदान दिया जो उनका अभियान है। यदि आप उनके स्वाभिमान पर चोट करोगे, अपमानजनक शब्दों से संबोधित करोगे तो सड़कों पर आक्रोश दिखाई देगा। मगर यह आक्रोश, एक मंत्री की मानसिकता का ही प्रश्न नहीं है बल्कि पूरी भाजपा की मानसिकता का भी प्रश्न है। आप सरकार के 8 साल के पूरे एजेंडे को देखिए तो उनका एजेंडा उत्तराखण्डियत की निरंतर अपेक्षा कर रहा है और आज उसी का दुष्परिणाम है कि पूरा राज्य एक अनियोजित विकास के गर्त में डूब रहा है जहां से निकलना कठिन हो जायेगा।

यह भी पढ़ें -  उत्तराखंड: इन 8 भर्तियों पर UKSSSC करने वाला है बड़ा फैसला, समिति ने आयोग क़ो सौपी रिपोर्ट

प्रधानमंत्री की सांकेतिकताएं भी राज्य को उस गर्त में जाने से बाहर नहीं निकाल पाएंगी। मैंने सांकेतिकता का उपयोग इसलिए किया क्योंकि जब कांग्रेस के विधायक कंबल ओढ़कर के विधानसभा में जा रहे हैं तो उसको कुछ लोग स्टंट और कुछ लोग अन्य तरीके का संबोधन दे रहे हैं जबकि उनका प्रयास सरकार के उस निर्णय पर कटाक्ष है, जिस निर्णय के तहत उन्होंने ग्रीष्मकालीन राजधानी में ग्रीष्मकालीन सत्र आयोजित न कर गैरसैंण का अपमान किया है, उस पर अपना आक्रोश प्रकट करना है। सरकार का भाव है कि #गैरसैंण में ठंड है इसलिये वहां सत्र नहीं होगा। सरकार की इस सोच के खिलाफ #विपक्ष कंबल और प्रदर्शन को देखा जाना चाहिए।

माननीय प्रधानमंत्री शीतकालीन यात्रा को बूस्टअप करने के लिए आ रहे हैं, उनका स्वागत है। लेकिन उसके साथ जो टोकनिज्म है, उन टोकनिज्म से उत्तराखंड को कोई लाभ होने नहीं जा रहा है, न हर्षिल के सेबों को लाभ होने जा रहा है और न उत्तरकाशी और पहाड़ों के अंदर पैदा होने वाले बीन्स आदि को लाभ होने जा रहा है। प्रसिद्ध पहले से है, लेकिन जब मार्केटिंग नेटवर्क ही नहीं है तो फिर केवल अखबारों की चर्चा से उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होगा, लाभ तो तब होगा जब आप प्रयास को एक धारा का रूप देने का काम करेंगे और मुझे ऐसा लगता है कि इस संदर्भ में सरकार किसी समझ से काम नहीं ले रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button