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उत्तराखंड में मिला दुर्लभ प्रजाति का मांसाहारी पौधा, मच्छर और कीड़े खाकर रहता है जिंदा

चमोली जनपद के केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के जंगल में एक ऐसा दुर्लभ प्रजाति का मांसाहारी पौधा मिला है, जिसे राज्य की जैवविविधता के लिहाज़ से काफी अच्छा समाचार माना जा रहा है.

उत्तराखंड में दुर्लभ जीवों और पेड़ पौधों का अद्भुत संसार बसता है.  हाल ही में चमोली जनपद के केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के जंगल में एक ऐसा दुर्लभ प्रजाति का मांसाहारी पौधा मिला है, जिसे राज्य की जैवविविधता के लिहाज़ से काफी अच्छा समाचार माना जा रहा है. इस मासांहारी पौधे को स्थानीय और सामान्य भाषा में ब्लैडरवॉर्ट्स कहते हैं. हैरानी की बात ये है कि यह पौधा सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में यह पहली बार देखने को मिला है. यह पौधा मच्छरों और कई अन्य प्रकार के छोटे कीड़ों को खा जाता है. उत्तराखंड मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि यह कीटभक्षी पौधा केवल उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि भारत के पूरे पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पहली बार दुर्लभ मांसाहारी पौधे को रिकॉर्ड किया गया है. 

1986 के बाद इस प्रजाति को भारत के किसी भी हिस्से में नहीं देखा गया है. उन्होंने बताया की इन पौधों के अंदर एक अद्भुत संरचना होती है, जिसके द्वारा यह अपने शिकार को पकड़ते हैं और उसका शिकार करते हैं. यह मांसाहारी पौधा पानी में पाया जाता है. पानी में मेंढक के टैडपोल, मच्छरों के लार्वा, विभिन्न प्रकार की क्रीमी जैसे ही इस पौधे की संरचना के बाहरी हिस्से को छूते हैं, इस मांसाहारी पौधे का मुंह खुल जाता है और इन्हें शिकार बना लेता है. आमतौर पर यह ऐसी जगहों पर उगता है, जहां पर मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होती है. इसलिए यह कीड़े-मकौड़े खाता है उत्तराखंड तथा पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के साथ-साथ जैव विविधता में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह मांसाहारी पौधा अच्छा समाचार लेकर भी आया है. आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने जानकारियां देते हुए बताया कि इस पौधे की खोज इन मायनों में महत्वपूर्ण है कि फसलों को कीट पतंगों से किस तरह बचाया जा सकता है.

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