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लच्छीवाला टोल हटाने की मांग तेज़, स्थानीय लोग और नेता लामबंद

लच्छीवाला टोल प्लाजा को लेकर लंबे समय से स्थानीय लोग विरोध जता रहे हैं। उनकी प्रमुख शिकायत यह है कि यह टोल उनकी दैनिक यात्रा को महंगा बना रहा है, जबकि सड़क की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। कई लोगों का कहना है कि उन्हें अपने ही शहर में आने-जाने के लिए अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ रहा है, जो अन्यायपूर्ण है।

उत्तराखंड में लच्छीवाला टोल प्लाजा को हटाने की मांग जोर पकड़ रही है। स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और कई राजनीतिक दल इस टोल प्लाजा के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। इस मुद्दे को लेकर आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है, और सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि जल्द से जल्द इस टोल को हटाया जाए।

स्थानीय लोगों की शिकायतें और आंदोलन की वजह

लच्छीवाला टोल प्लाजा को लेकर लंबे समय से स्थानीय लोग विरोध जता रहे हैं। उनकी प्रमुख शिकायत यह है कि यह टोल उनकी दैनिक यात्रा को महंगा बना रहा है, जबकि सड़क की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। कई लोगों का कहना है कि उन्हें अपने ही शहर में आने-जाने के लिए अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ रहा है, जो अन्यायपूर्ण है।

राजनीतिक दल भी उतरे मैदान में

इस आंदोलन को अब राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है। कई स्थानीय नेता और पार्टियां इसे जनहित का मुद्दा बताते हुए सरकार से टोल हटाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब राज्य में कई अन्य टोल हटाए जा सकते हैं, तो लच्छीवाला टोल को भी समाप्त किया जाना चाहिए।

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प्रशासन और सरकार का रुख

अब तक प्रशासन और सरकार की ओर से इस मांग पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन विरोध बढ़ने के साथ ही यह मुद्दा तूल पकड़ सकता है। यदि सरकार ने जल्द ही इस पर विचार नहीं किया, तो आंदोलन और तेज़ होने की संभावना है।

आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो वे बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। देखना होगा कि सरकार इस दबाव के आगे झुकती है या नहीं। लच्छीवाला टोल प्लाजा का भविष्य अब जनता के आंदोलन और प्रशासन के फैसले पर निर्भर करता है।

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