उत्तराखंड

भू धंसाव में जर्जर हुए भवनों का सर्वेक्षण शुरू, टीम तैयार कर रही भवनों के ध्वस्तीकरण का स्टीमेट

भू धंसाव में जर्जर हुए भवनों का सर्वेक्षण शुरू, टीम तैयार कर रही भवनों के ध्वस्तीकरण का स्टीमेट

ज्यादा दरार वाले भवनों को रेड जोन, कम दरार वाले भवन यलो जोन और पूरी तरह सुरक्षित भवनों को ग्रीन जोन में रखा गया था। रेड जोन में आने वाले भवन स्वामियों को प्रशासन की ओर से मुआवजा वितरित किया गया।

भू धंसाव से जर्जर हुए जिन भवनों का प्रशासन ने भुगतान कर दिया है उनका सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है। लोनिवि की टीम भवनों का निरीक्षण कर स्टीमेट तैयार कर रही है। जिसके बाद इनके ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी

वर्ष 2023 के शुरुआत में ज्योतिर्मठ नगर में भूधंसाव से बड़ी संख्या में भवनों पर दरार पड़ गई थी। उस वक्त दरार वाले भवनों को तीन श्रेणियों में बांटा गया। ज्यादा दरार वाले भवनों को रेड जोन, कम दरार वाले भवन यलो जोन और पूरी तरह सुरक्षित भवनों को ग्रीन जोन में रखा गया था। रेड जोन में आने वाले भवन स्वामियों को प्रशासन की ओर से मुआवजा वितरित किया गया। करीब 216 परिवारों को मुआवजा वितरित किया जा चुका है। जबकि कुछ परिवारों को मुआवजा नहीं दिया गया है।

अब जिन घरों का मुआवजा वितरित किया गया है प्रशासन ने उनका सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। लोनिवि की टीम इन भवनों का सर्वेक्षण कर रही है। जिसमें इनको डिस्मेंटल करने के लिए स्टीमेट तैयार किया जाएगा। उसे शासन को भेजा जाएगा, शासन से स्वीकृति मिलने पर ऐसे जर्जर भवनों को ध्वस्त किया जाएगा। एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि जो भवन क्षतिग्रस्त हैं या रहने लायक नहीं है उनका आकलन तैयार किया जा रहा है। बाद में इन भवनों को हटाया जाएगा।

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भुगतान नहीं होने वाले भवनों का हो रहा सर्वे

– एसडीएम ने बताया कि जो भवन जर्जर हैं और रहने लायक नहीं हैं लेकिन उनका भुगतान हीं हुआ है उनको भी चिह्नित किया जा रहा है। ताकि उनको लेकर आगे की प्रक्रिया शुरू की जा सके।

भुगतान लेकर वापस घरों में चले गए गई लोग

– कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने घरों का पैसा तो ले लिया लेकिन वापस उन्हीं घरों में चले गए हैं। दरअसल अभी विस्थापन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। सरकार ने जर्जर भवनों के पैसे तो दे दिए, लेकिन लोग अपने घर कहां बनाएंगे यह स्पष्ट नहीं किया।

ऐसे में लोग असमंजस में हैं कि यदि वे कहीं अन्य जगह पर मकान बनाते हैं और फिर बाद में सरकार विस्थापन के लिए कोई जगह चिह्नित करती है तो उन्हें समस्या आ सकती है। कोई एक जगह चिह्नित हो तो वहां पर मूलभूत सुविधाएं जुटाना भी आसान रहेगा।

 

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