उत्तराखंड

राजधानी दून पर मंडरा रहा बड़ा खतरा, यहां बनी कृत्रिम झील, कई गांव का अस्तिव खतरे में

डोईवाला: देहरादून जिले के डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में स्थित सूर्यधार बांध से लगभग 3 किमी आगे सैबूवाला गांव के पास कृत्रिम झील बन गई है। जो कि तबाही का कारण बन सकती है। झील का निर्माण पीएमजीएसवाई खंड नरेंद्र नगर के अंतर्गत इठराना-कालबना-कुखुई-मोटर मार्ग के निर्माण कार्य से निकले मलबे के नदी में गिराए जाने के कारण हुआ है। इससे नदी का प्रवाह आंशिक रूप से रुक गया है। बता दें, उत्तराखंड में 2013 में आई जलप्रलय ने भी भारी तबाही मचाई थी, जिसके जख्म आज भी भरे नहीं है।

कृत्रिम झील बन जाने के कारण आसपास के ग्रामीण दहशत में हैं। ग्रामीणों को डर है कि बरसात में पानी की वेग बढ़ने के कारण झील टूट सकती है और इससे इलाके में बड़ी तबाही आ सकती है। कई गांव का अस्तिव खतरे में पड़ सकता है। ग्रामीणों का आरोप है कि करोड़ों की लागत से बनी परियोजना के शुरू होते ही निर्माण का ध्वस्त हो जाना गुणवत्ता को संदेह के घेरे में ला रहा है। ग्रामीणों ने क्षेत्रवासियों की सुरक्षा के मद्देनजर निर्माण की जांच कराने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि झील के दूसरे किनारे पर इस प्रकार की स्थिति पैदा होती है तो दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे के धंसने का खतरा पैदा हो सकता है। उनका कहना है कि वायरक्रेट के निर्माण की जांच होनी चाहिए।

स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद ये सूचना अधिकारियों को मिली, उनमें भी हड़कंप मचा हुआ है। अधिकारियों के मौके पर पहुंचकर कृत्रिम झील का जायजा लिया। अधिकारियों का कहना है कि मोटर मार्ग के निर्माण के मलबे के नदी में गिरने से झील बनी है। इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी। बताया गया कि 100 मीटर लंबी, 36 मीटर चौड़ाई, साढ़े 3 मीटर गहराई की है झील है। जिसका पानी निकालने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भी सौंप दी गई है। इस घटना को लेकर ग्रामीण जलविद्युत निगम पर सवाल उठा रहे हैं।

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स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी असर पड़ रहा है। स्थानीय गांव के लोग मत्स्य पालन और अन्य रोजगार के जरिए ही घर चलाते हैं, लेकिन पानी के रूक जाने से उनके आजीविका पर संकट आ गया है। ऐसे में प्रशासन और सरकार से उन्होंने इस पर तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही झील के बढ़ जाने से भविष्य में किसी तरह की आपदा आने का भी संकट खड़ा हो गया है। कई बार अधिकारियों को भी अवगत कराया था, लेकिन किसी ने भी उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया है और इसका परिणाम ये है कि आज सूर्यधार झील आगे जाखन नदी में एक कृत्रिम झील बन गई। यदि झील टूटती है तो इससे रानीपोखरी पुल, जाखन पुल और नदी किनारे रहने वाले लोगों को कभी भी खतरा हो सकता है।

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