यूँ तो देवभूमि उत्तराखंड Uttarakhand के कण-कण में भगवान विराजमान हैं, इसी लिए इस धरा को देव भूमि उत्तराखंड कहा जाता है लेकिन भगवान शंकर यानि रूद्र की विशेष भूमि रुद्रप्रयाग Rudraprayag जिले में शंकर के कई मंदिर स्थापित हैं जिनकी मान्यता और परम्परा इन्हें सिद्ध पीठ की संज्ञा देते हैं. उन्हीं में एक पवित्र स्थल है फलासी Phalasi Village गांव स्थित फलेश्वर महादेव तुंगनाथ मंदिर Tungnath Temple. जी हाँ रुद्रप्रयाग के तल्लानागपुर Tallanagpur पट्टी में स्थित फलासी गांव में भव्य मंदिर विद्यमान है. इसलिए इसे फलासी मंदिर Phalasi Temple कहा जाता है.
निसंतान दंपति के पुत्र प्राप्ति हेतु विशेष पूजा
शिवरात्रि के मौके पर फलेश्वर मंदिर फलासी में हर साल विशेष रूप से 51 किलो ग्राम भांगघोठा का प्रसाद भगवान शंकर को चड़ाया जाता है, यहां पर भक्तों के द्वारा रात भर कीर्तन भजन करके चारो पहरों की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मंदिर में भट्ट ब्राह्मणों के द्वारा पूरे विधि विधान से संपन्न की जाती है. जो विशेष रूप से वर्ष भर में शिवरात्रि के दिन ही होती है. तुंगनाथ महादेव को फलेश्वर महादेव क्यों कहा जाता है. जो भी भक्त गण शिवरात्रि के इस पावन पर्व पर रात दिन उपवास रखकर भगवान् फलेस्वर महादेव की सच्चे मन सेवाभाव से भक्ति कर भगवान् फलेश्वर को प्रसन्न करते है. भगवान् उनको मनचाहा फल देते है. जानकार बताते हैं कि निसंतान दंपति को पुत्र प्राप्ति का फल भी तुंगनाथ भगवान देते हैं.

ये है ऐतिहासिक पहलू
फलेश्वर मंदिर के नाम से ही इस गांव का नाम फलासी पड़ा है.पौराणिक कथाओं के अनुसार अभिमन्यु के पोते यानि पांडवो के वंशज राजा जनमेजय ने आठवीं सदी में इस मंदिर का निर्माण किया था. मान्यताओं के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इसमें 108 मंदिर समूह का निर्माण किया गया था जिसमें से वर्तमान में 11 मंदिर समूह यथावत विद्यमान है. भगवान् फलेश्वर के मुख्य द्वार पर पांडव शिला विद्यमान है. भगवान् फलेश्वर के गर्भ गृह में लक्ष्मी नारायण भगवान्, गणेश और सभामंडप में मा दुर्गा शक्ति की फर्श बिराजमान है.
ऐसे पहुचें फलासी
फलासी Phlasi Temple पहुचने के लिए आपको सबसे पहले रुद्रप्रयाग पहुचना होगा. रुद्रप्रयाग बस स्टैंड से बस, टैक्सी, जीप, मैक्स इत्यादि वाहन से सतेराखाल – मयकोटी- दुर्गाधार होते हुए 20 किलोमीटर दूरी तय कर चोपता पहुंच सकते हैं. चोपता से 1 किमी पैदल दूरी पै तय करके फलासी पंहुचा जा सकता है. यह मंदिर सालभर खुला रहता है. यहां पर रहने खाने के लिए मंदिर समिति के गेस्ट हाउस और ग्रामीण होम स्टे उपलब्ध हो सकते हैं. तल्ला नागपुर वाला पूरा इलाका अभी अन एक्सप्लोर रमणीक स्थल है. यहाँ की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 1800 से 2000 मीटर के बीच है. इसके आस पास अन्य दर्शनीय स्थल देवधारा, प्राकृतिक झरना, भैरव मंदिर गढ़िल थान, काली माता और नरसिंग मंदिर हरियाली मंदिर स्थित है.
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