रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के केदारघाटी क्षेत्र के रुद्रपुर गांव में पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) द्वारा प्रस्तावित विद्युत सब स्टेशन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक ओर प्रशासन और पिटकुल का कहना है कि यह सब स्टेशन क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति को मजबूत करेगा और केदारनाथ धाम यात्रा सहित कई विकास योजनाओं के लिए आवश्यक है। दूसरी ओर, ग्रामीणों का आरोप है कि इस परियोजना के लिए उनकी परंपरागत गोचर (चरागाह) भूमि पर जबरन कब्जा किया जा रहा है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी।
प्रशासन का पक्ष: महत्वपूर्ण परियोजना को बाधित किया जा रहा
पिटकुल और प्रशासन के अनुसार, यह विद्युत सब स्टेशन केदारनाथ धाम और पूरे केदारघाटी क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति को सुचारु बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उनका दावा है कि प्रस्तावित भूमि सरकारी है और सभी वैधानिक प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद ही इसे पिटकुल को आवंटित किया गया है।
प्रशासन का कहना है कि कुछ स्थानीय लोग निजी स्वार्थ के कारण इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने इसे रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया। अब वे ग्रामीणों, विशेष रूप से महिलाओं को आगे कर प्रदर्शन कर रहे हैं और गलत अफवाहें फैला रहे हैं। पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सरकारी कार्य में बाधा डालने वालों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

ग्रामीणों का पक्ष: हमारी परंपरागत भूमि पर जबरन कब्जा हो रहा है
ग्रामीणों का कहना है कि पिटकुल ने पहले इस सब स्टेशन के लिए ब्रह्मवाड़ी को चुना था, लेकिन बाद में इसे रुद्रपुर स्थानांतरित कर दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि 2013 में चुनावी आचार संहिता लागू होने के दौरान ग्राम प्रधान के अधिकार सीमित होने का फायदा उठाकर ग्राम विकास अधिकारी और पिटकुल अधिकारियों ने मिलकर बिना ग्रामसभा की सहमति के गोचर भूमि को वन विभाग को हस्तांतरित कर दिया। बाद में यही जमीन पिटकुल को दे दी गई।
ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि उनकी सदियों पुरानी चरागाह है, जहां उनके मवेशी चरते हैं। वे इस भूमि को संरक्षित रखना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी। ग्रामीणों का आरोप है कि मामला अभी अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद प्रशासन ने जबरन निर्माण शुरू करने की कोशिश की, जिसके विरोध में उन्होंने प्रदर्शन किया और गुप्तकाशी-जाखधार मार्ग जाम कर दिया। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
विवाद का समाधान खोजने की आवश्यकता
इस विवाद ने प्रशासन और स्थानीय ग्रामीणों के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। एक ओर, यह परियोजना क्षेत्र में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कर सकती है, जिससे केदारनाथ यात्रा और भविष्य की विकास योजनाओं को लाभ मिलेगा। दूसरी ओर, ग्रामीण अपनी पारंपरिक भूमि के संरक्षण की मांग कर रहे हैं, जिसे वे अपने जीवन और संस्कृति से जुड़ा मानते हैं।