उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं की प्रभावशीलता को लेकर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने परफॉर्मेंस ऑडिट के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अब तक इन योजनाओं से कितनी महिलाओं को लाभ पहुंचा है, इसकी सटीक जानकारी जुटाई जाए। साथ ही, योजनाओं के लक्षित वर्ग पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन कर उनकी गुणवत्ता में सुधार करने और रीमॉड्यूलेशन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है। इसके लिए सचिव स्तर पर ड्राफ्ट तैयार कर आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।
मुख्य सचिव ने सचिवालय में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के तहत उत्तराखंड महिला एवं बाल विकास समिति की वार्षिक महासभा की अध्यक्षता की। इस बैठक में उन्होंने मुख्यमंत्री महिला सतत आजीविका योजना के साथ अन्य विभागों द्वारा संचालित महिलाओं की आजीविका से जुड़ी योजनाओं को एकीकृत करने के निर्देश दिए। साथ ही, मेधावी छात्राओं को शैक्षिक रूप से प्रेरित करने के लिए देशभर में शैक्षिक भ्रमण करवाने की योजना पर काम करने को कहा गया।
दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाओं और बालिकाओं में मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए आंगनबाड़ियों के माध्यम से सैनेटरी नैपकिन वितरण की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा, महिलाओं के लिए एनीमिया उन्मूलन अभियान को जन अभियान के रूप में चलाने और इसे प्रभावी ढंग से लागू करने पर जोर दिया गया।
बैठक में बाल कल्याण निधि, किशोरियों और महिलाओं के लिए सैनेटरी नैपकिन योजना, मुख्यमंत्री सतत आजीविका योजना और उत्तराखंड महिला समेकित विकास योजना की वर्ष 2019 से 2024 तक की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति की जानकारी दी गई। इस अवसर पर सचिव चंद्रेश यादव, विनय शंकर पांडेय, नीरज खैरवाल सहित शिक्षा, वित्त और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।