उत्तराखंड

केदारनाथ आपदा की याद दिला गया गौरीकुंड हादसा, पल भर में दफ्न हुई 20 जिंदगियां..17 लापता की तलाश जारी

गौरीकुंड में पहाड़ी से मलबा गिरने से तीन दुकानें जमींदोज हो गईं. केदारघाटी में हुए इस हादसे ने दस साल पहले वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा की यादों को ताजा कर दिया है.

केदारनाथ  धाम यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में डाक पुलिया के समीप गुरुवार की देर रात करीब 11.30 बजे पर भूस्खलन की घटना हुई थी. जिसमें 3 दुकानें और एक खोखा बह गया था. भारी बारिश से केदारनाथ धाम के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में पहाड़ी से मलबा गिरने से तीन दुकानें जमींदोज हो गईं.  केदारघाटी में हुए इस हादसे ने दस साल पहले वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा की यादों को ताजा कर दिया है. जबकि बीते चार दशक में ऊखीमठ ब्लॉक क्षेत्र में यह तीसरी बड़ी आपदा है. इसके बाद भी आज तक केदारघाटी से लेकर केदारनाथ पैदल मार्ग पर सुरक्षा के नाम पर ठोस इंतजाम तो दूर, कार्ययोजना तक नहीं बन पाई है.

सरकार सिर्फ केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों तक ही सिमटी रही. वर्ष 1976 से रुद्रप्रयाग व केदारघाटी के गांव प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलते आ रहे हैं. यहां आज भी कई गांव मौत के मुहाने पर खड़े हैं. बीते चार दशक में यहां 14 प्राकृतिक आपदाएं आ चुकी हैं जिसमें से 16-17 जून 2013 की केदारनाथ की आपदा सबसे विकराल रही. 2013 की आपदा ने केदारघाटी से लेकर केदारनाथ का भूगोल बदल दिया था. गौरीकुंड से रुद्रप्रयाग के बीच मुनकटिया, रामपुर, खाट, सेमी, भैंसारी, रामपुर, बांसवाड़ा, विजयनगर कई क्षेत्र हादसों का सबब बने हुए हैं लेकिन सरकारें, प्राकृतिक आपदा कम हो इसके प्रयास कम करने की योजना बनाने के बजाय केदारनाथ पुनर्निर्माण में ही घिरकर रह गई. केदारनाथ पैदल मार्ग पर यहां न तो भूस्खलन जोन का ट्रीटमेंट हो पाया न ही पैदल रास्ते का विकल्प ढूंढा गया. जबकि रुद्रप्रयाग जिला भूकंप व अन्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से पांचवें जोन में है.

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