उत्तराखंड

नैनीताल: बाजार गया भुवन 30 साल बाद होली की शाम लौटा घर, नही पहचान पाए बूढ़े मां बाप

1992 में साइकिल लेकर खाद लेने के लिए बाजार गया भुवन 30 साल बाद होली की शाम लौटा. अंगुली की चोट देखकर माँ बाप का संदेह यकीन में बदला

शांतिपुरी: पूरे तीस साल हो गए थे घर से गायब हुए. तब वह दुधमुंहे बच्चे और बेटी को छोड़कर चला गया था. देश का कोई कोना नहीं छोड़ा जहां परिजनों ने खोजबीन न की हो. पता नहीं चला तो हार थककर खोजबीन छोड़ दी. होली के दिन अचानक वह घर के द्वारे पहुंचा तो सब सन्न रह गए. किसी को विश्वास ही नहीं हुआ कि तीस साल बाद वह लौट सकता है. यह वाक्या है शांतिपुरी के निकट शिवपुरी बिंदुखत्ता निवासी भुवन सुयाल के परिवार का. 30 साल पहले भुवन साइकिल लेकर खाद लेने के लिए बाजार गए थे लेकिन साइकिल को रास्ते में ही छोड़कर वह गायब हो गए. परिजन कई सालों तक बिहार, दिल्ली, रानीखेत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ आदि शहरों में ढूंढते रहे. 19 मार्च की शाम को होली के दिन वह अचानक घर लौट आए. घर पहुंचने पर भुवन ने अपने ही वृद्ध पिता से पूछा कि क्या यही दुर्गादत्त सुयाल का घर है. भुवन के छोटे भाई त्रिलोक ने उन्हें पहचान लिया.

बेटे के लौटने का संदेह बदला यकीन में

पिता दुर्गादत्त और मां कुरनी देवी को विश्वास नहीं हुआ कि बेटा लौट आया है. उन्होंने बेटे की बाएं हाथ की अंगुली देखी जो बचपन में कट गई थी. इसके बाद उनका संदेह यकीन में बदला. मां कुरनी देवी ने तुरंत बेटे हो होली का तिलक कर उसका स्वागत किया. कुरनी ने कहा कि वह पहले भी घर से दो वर्ष गायब रहा फिर लौटने के बाद एक वर्ष घर पर ही रहा. भुवन को देखने के लिए रिश्तेदारों और पड़ोस के लोगों की भीड़ लग गई. भुवन ने बताया कि वह पुरानी दिल्ली स्थित पीतल की कंपनी में काम करते हैं. इसके अलावा वह कुछ भी बताने से इनकार कर रहे हैं. वह अपना मोबाइल फोन भी किसी को नहीं दे रहे हैं.

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बेटा सेना में, बेटी का हो चुका विवाह

1992 में भुवन अपने जिस बेटे के नामकरण के तुरंत बाद लापता हो गया था आज वह सेना में भर्ती हो चुका है. बेटी की शादी हो चुकी है.

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