हरिद्वार। नगर निगम हरिद्वार में सामने आए 54 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में बड़ी कार्यवाही की नींव रखी जा चुकी है। इस मामले में जांच अधिकारी वरिष्ठ IAS रणवीर सिंह चौहान ने अपनी रिपोर्ट शहरी विकास सचिव को सौंप दी है। रिपोर्ट में दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी की भूमिका को संदिग्ध बताया गया है, जिससे शासन और प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है।
यह घोटाला सराय क्षेत्र की 33 बीघा भूमि की खरीद से जुड़ा है, जिसकी वास्तविक कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये थी, लेकिन नगर निगम ने इसे 54 करोड़ रुपये में खरीदा। इस खरीद में लैंडयूज़ परिवर्तन और सर्किल रेट में हेराफेरी कर कीमत को मनमाने ढंग से बढ़ाया गया। गौरतलब है कि यह जमीन रिंग रोड परियोजना के मुआवजे की राशि से खरीदी गई थी। यह घोटाला पूर्व में सामने आए एनएच-74 भूमि घोटाले की याद दिलाता है।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मामले की जांच वरिष्ठ IAS रणवीर सिंह चौहान को सौंपी गई थी। उन्होंने मई के पहले सप्ताह में स्थल का दौरा कर गहन जांच की। उनकी रिपोर्ट में सामने आया कि भूमि खरीद में कई वरिष्ठ अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी की।
इन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई
प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर नगर निगम के चार अधिकारियों को निलंबित किया गया है:
- रवीन्द्र कुमार दयाल (अधिशासी अधिकारी श्रेणी-2)
- आनंद सिंह मिश्रवाण (सहायक अभियंता)
- लक्ष्मीकांत भट्ट (कर एवं राजस्व अधीक्षक)
- दिनेश चंद्र कांडपाल (अवर अभियंता)
इसके अतिरिक्त, सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त सम्पत्ति लिपिक वेदपाल की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई, जिसके बाद उनका सेवा विस्तार समाप्त कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
वरिष्ठ अधिकारी से मांगा गया स्पष्टीकरण
हरिद्वार नगर निगम की वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट से भी मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
रिपोर्ट शासन को सौंपे जाने के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस पर आगे क्या कदम उठाती है।