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उत्तराखंड: लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य, नहीं तो होगी छह महीने की जेल

प्रदेश में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर नियम सख्त किए जा रहे हैं.

उत्तराखंड में अब लिव इन के रूप में रहना आसान नहीं होगा. प्रदेश में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर नियम सख्त किए जा रहे हैं. इसके अंतर्गत लिव इन में रहने वाले युगल का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है. अनिवार्य पंजीकरण न करने पर छह माह का कारावास या 25 हजार रुपये दंड अथवा दोनों का प्रविधान होगा. प्रदेश में जल्द समान नागरिक संहिता लागू होने वाली है. इससे संबंधित विधेयक मंगलवार को सदन में प्रस्तुत किया जाएगा. कैबिनेट पहले ही समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को मंजूरी दे चुकी है. सूत्रों की मानें तो प्रस्तावित विधेयक में लिव इन को लेकर सख्त प्रविधान किए गए हैं.

प्रस्तावित विधेयक में लिव इन की परिभाषा भी स्पष्ट की गई है. कहा गया है कि केवल एक व्यस्क पुरुष व व्यस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे. वह भी तब, जब वे पहले से अविवाहित हों अथवा किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न रह रहे हों. साथ ही निषेध संबंधों की डिग्री में न आते हों. इस डिग्री में नजदीकी रिश्तेदारों के साथ संबंध निषेध हैं. लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को साथ में रहने के लिए अनिवार्य रूप से पंजीकरण एक रजिस्टर्ड वेब पोर्टल पर कराना होगा. पंजीकरण करने के पश्चात उसे रजिस्ट्रार द्वारा एक रसीद दी जाएगी. इसी रसीद के आधार पर वह युगल किराये पर घर, हास्टल अथवा पीजी में रह सकेगा. पंजीकरण करने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी.

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