उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है UKPSC Exams में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने सरकार के 30 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने वाले शासनादेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है. आपको बता दें की इससे पहले जनरल कोटे से सरकार ने 30 प्रतिशत आरक्षण उत्तराखंड की महिलाओं को दे रही थी, जिसपर हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है.
अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने पिछले साल दस अगस्त को विज्ञापन जारी किया था. 26 मई 2022 को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आया. परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी की दो कट ऑफ लिस्ट निकाली गईं. उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों की कट ऑफ 79 थी. याचिकाकर्ता महिलाओं का कहना था कि उनके अंक 79 से अधिक थे, मगर उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया. याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि शासनादेश के अनुसार, उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है. वहीँ कोर्ट ने इस मामले राज्य सरकार और लोक सेवा आयोग से 7 अक्टूबर तक जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी.