उत्तराखंड

उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक किशन सिंह पंवार निधन, संगीत जगत में दौड़ी शोक की लहर

टिहरी गढ़वाल के प्रतापनगर प्रखंड में रमोली पट्टी के नाग गांव में जन्मे किशन सिंह पंवार ने 72 साल की उम्र में देहरादून के अस्पताल में अंतिम सांस ली.

पनी सुरीली आवाज से गढ़वाली जनमानस का तृप्त मनोरंजन करने वाले किशन सिंह पंवार इस दुनिया से विदा हो गए.80 के दशक में टेपरिकॉर्डर के दौर में धार-धार,गांव-गांव शृंगारिक और जनजागरूकता गीतों से छाप छोड़ने वाले किशन सिंह अध्यापक से प्रसिद्ध गायक बन गए थे.टिहरी गढ़वाल के प्रतापनगर प्रखंड में रमोली पट्टी के नाग गांव में जन्मे किशन सिंह पंवार ने 72 साल की उम्र में देहरादून के अस्पताल में अंतिम सांस ली. किशन सिंह पंवार के निधन पर प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, उत्तरकाशी संवेदना समूह के अध्यक्ष जयप्रकाश राणा, लोक गायिका मीना राणा अनुराधा निराला ने शोक व्यक्त किया है.

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लोक गायक ओम बदानी कहते हैं कि पहाड़ के वास्तविक लोक गीत के गीतकार के एक युग का अंत हुआ है.लोक गायकी में तमाम यश और ख्याति मिलने के बाद भी किशन सिंह पंवार ने अंतिम समय तक अपना ठेठ पहाड़ीपन नहीं छोड़ा है. किशन सिंह पंवार गानों ने जनमानस के मन पर और दिलों पर अलग छाप छोड़ी.उनके गीत आज भी प्रासंगिक हैं और लोक समाज को संदेश देने वाले हैं.तंबाकू निषेध को लेकर किशन सिंह पंवार ने 90 के दशक में ,”न पे सफरी तमाखू… त्वैन जुकड़ी फुंकण” गीत काफी लोकप्रिय हुआ.

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