देहरादून
उत्तराखंड में 15 फरवरी से फायर सीज़न की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में 1 महीने से अधिक का समय पूरा हो चुका है, जिसके चलते अभी तक उत्तराखंड के लिए फायर सीजन का पहला महीना राहत भरा रहा है। आपको बता दें कि ना केवल इस दौरान मौसम ने राज्य का साथ दिया है, बल्कि वन विभाग की एडवांस तैयारी भी जंगलों को बचाने में महत्वपूर्ण साबित हुई है। वही आंकड़े के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर बाकी राज्य वनाग्नि के मामले में उत्तराखंड से बेहद आगे हैं, जबकि पिछले सालों की तुलना में भी राज्य में इस दौरान काफी कम आग वनाग्नि की घटनाएं सामने आई है। उत्तराखंड में जंगलों की आग न केवल प्रदेश स्तर पर बहस का मुद्दा बनती है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी खूब चर्चा होती हैं। इतना ही नहीं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी इन घटनाओं को लेकर राज्य सरकार को पूर्व में दिशा निर्देश देते रहे हैं। ऐसे में जाहिर है कि वन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा होने के कारण ये मुद्दा काफी तूल भी पकड़ लेता हैं, लेकिन इस साल उत्तराखंड के लिए अच्छी खबर यह है कि फायर सीजन का पहला महीना वनाग्नि की घटनाओं में कमी के चलते उत्तराखंड के लिए राहत भरा रहा है।
निशांत वर्मा, मुख्य वन संरक्षण, वनाग्नि उत्तराखंड
एक नवंबर 2024 से 20 मार्च 2025 तक के आंकड़े:-
वनाग्नि के आंकड़ों के अनुसार इस साल देश भर के कुल जंगलों में आग के लिए 81405 अलर्ट जारी किए गए हैं। यानी देश में कुल 81405 आग लगने की घटनाएं हुई हैं। इसमें से उत्तराखंड के लिए कुल 1347 अलर्ट जारी हुए, जबकि देश में पहले नंबर पर तेलंगाना राज्य रहा, जहां 11499 जंगलों की आग से जुड़े अलर्ट रिकॉर्ड किए गए. दूसरे नंबर पर उड़ीसा राज्य है, जहां 10231 अलर्ट जारी हुए। तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र रहा जहां 8732 वनाग्नि की घटनाएं रिकॉर्ड की गई है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 7353, आंध्र प्रदेश में 7044 और कर्नाटक में 6747 घटनाएं हुई है. मध्य प्रदेश में 5490 और हिमालयी राज्य के रूप में मिजोरम में 5042 मणिपुर में 2841 मेघालय में 2417 और असम में 1850 घटनाएं हुई हैं।