उत्तराखंड का नैनीताल विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. हर साल यहां लाखों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं. नैनी झील जितनी सुंदर है, उतनी ही सुंदर यहां की पहाड़ियां भी हैं. हालांकि यह पहाड़ियां ही अब नैनीताल के भविष्य के लिए खतरा बन रही हैं. भू-वैज्ञानिकों की मानें तो नैनीताल की पहाड़ियों में लगातार दरारें बढ़ रही हैं, जिसका परिणाम भूस्खलन के रूप में देखने को मिल रहा है. शहर की बलियानाला पहाड़ी बेहद ही संवेदनशील है. देश के नामी संस्थानों और विदेशी विशेषज्ञों के चार दिनी सर्वे और अध्ययनों में यहीं तथ्य सामने आए हैं. अध्ययन में पता चला है कि पहाड़ी पर हर पल हलचल हो रही है. ऐसे में वर्षा के दौरान पहाड़ी पर भूस्खलन की समस्या बनी रहेगी. विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में बलियानाला का भूस्खलन शहर के अस्तित्व के लिए बड़ा संकट बन सकता है. इसलिए पहाड़ी का जल्द ट्रीटमेंट बेहद जरूरी है.
एडीबी वित्त पोषण से क्लाइमेट रेसिलियेंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट फार नैनीताल प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जा रहा है. जिसमें नैनीताल की भावी जरूरतों, समस्याओं और समाधानों का अध्ययन कर मास्टर प्लान तैयार किया जाना है. जिससे 20 वर्ष बाद शहर आने वाली चुनौतियों से निपटा जा सके. चार दिनों तक देश और विदेशी विशेषज्ञों ने अध्ययनों के बाद बलियानाला में हो रहे भूस्खलन को ही सर्वाधिक संवेदनशील विषय बताया है. टीम के सदस्यों ने बताया कि बलियानाला क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है, जिसका सीधा कनेक्शन नैनीताल के अस्तित्व से है. पहाड़ी के कई स्तरों पर कई विशेषज्ञ अध्ययन कर चुके है. मगर हर बार अध्ययनों में नए तथ्य सामने आ रहे हैं. यह तथ्य शहर के लोगों की चिंता बढ़ाने वाले हैं. प्रोजेक्ट में बिजनेस डेवलपमेंट की टीम ने आलूखेत क्षेत्र में लिडार स्केनर स्थापित कर बलियानाला पहाड़ी का अध्ययन किया. टीम विशेषज्ञ हैदर अली ने बताया कि दो दिनों तक स्कैनर से हर आधे घंटे में पहाड़ी का स्कैन लिया गया. जिसमें सामने आया कि पहाड़ी में हर पल हलचल हो रही है. बिना वर्षा के पहाड़ी से मिट्टी और धूल के कण गिर रहे हैं. वर्षा के पानी का पहाड़ी से रिसाव हुआ तो भविष्य में यह बड़ा खतरा बन सकता है. ऐसे में समय रहते प्रबंधन बेहद जरूरी है.