उत्तरकाशी: उत्तराखंड के हर्षिल क्षेत्र में प्रस्तावित शराब की दुकान के खिलाफ स्थानीय निवासियों और पांच मंदिर समिति के सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया है। शुक्रवार को ग्रामीणों और तीर्थ पुरोहितों ने जिला कार्यालय पहुंचकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की।
धार्मिक पर्यटन को होगा नुकसान
ग्रामीणों का कहना है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर्षिल और मुखबा का दौरा किया था और यहां धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही थी। ऐसे में सरकार का यह निर्णय न केवल स्थानीय संस्कृति के खिलाफ है, बल्कि इससे तीर्थयात्रियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल ने कहा, “मुखबा गांव, जो हर्षिल से मात्र तीन किलोमीटर दूर है, मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल है। यहां श्रद्धालु पूरे वर्ष दर्शन के लिए आते हैं। अगर हर्षिल में शराब की दुकान खोली जाती है, तो इससे पर्यटकों में गलत संदेश जाएगा और धार्मिक वातावरण प्रभावित होगा।”
स्थानीय समुदाय का आक्रोश

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन इस फैसले को वापस नहीं लेता, तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
शराब की दुकान के खिलाफ तर्क
स्थानीय निवासियों और तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि हर्षिल क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्ता और आध्यात्मिक माहौल के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में शराब की बिक्री से यहां की पवित्रता भंग होगी और अपराध व अव्यवस्था जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
प्रशासन से पुनर्विचार की अपील
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए और हर्षिल जैसे धार्मिक क्षेत्र में शराब की दुकान खोलने के प्रस्ताव को पूरी तरह से रद्द किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो वे राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक इस मामले को उठाने के लिए तैयार हैं।