उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुक्रवार को 47 साल के हो जाऐंगे.16 सितम्बर 1975 को पिथौरागढ़ में जन्मे पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनकी अगुवाई में किसी पार्टी की लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी हुई.समूचा उत्तराखण्ड अपने इस लोकप्रिय मुख्यमंत्री का जन्मदिवस यानि 16 सितम्बर को संकल्प दिवस के रूप में मानने जा रहा है.संकल्प दिवस इसलिए क्योंकि स्वयं पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड को वर्ष 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने के विकल्प रहित संकल्प पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं.स्वयं धामी का मानना है कि देवभूमि को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने की यह यात्रा उनकी अकेली नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है।
पिथौरागढ़ ज़िले में सितंबर 1975 में जन्मे पुष्कर धामी मूलत: ठाकुर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. सियासत में उनकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के ज़माने से छात्र राजनीति से हुई थी. करीब 33 साल पहले से धामी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े रहे हैं. धामी ने अखंड उत्तर प्रदेश के समय में अवध प्रांत क्षेत्र में एबीवीपी सदस्य के तौर पर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था और इस क्षेत्र में वह करीब एक दशक तक सक्रिय रहे थे. इसके बाद, 2002 से 2008 के बीच धामी ने भाजपा के उत्तराखंड युवा मोर्चा के लिए काम किया. यह वही समय था, जब भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे. 2001-02 में सीएम रहे कोश्यारी के लिए धामी स्पेशल ड्यूटी अफसर के तौर पर सक्रिय थे. 2012 में उन्हें पहली बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव का टिकट दिया और वह खटीमा से विधायक चुने गए. इसी सीट से उन्होंने 2017 में भी चुनाव जीता.
2017-2022 तक खटीमा विधायक रहे.2016 से 2021 तक उत्तराखंड भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष रहे.4 जुलाई 2021 से 11 मार्च 2022 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे व 11 मार्च 2022 को इस्तीफा दे दिया.21 मार्च 2022 को भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक दल के नेता चुने गए और दोबारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने.मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पूरे उत्तराखंड में अपनी अलग पहचान बना ली और देवभूमि के युवाओं के बीच लोकप्रियता बढ़ गई.पुष्कर फ्लॉवर भी और फायर भी.चुनाव प्रचार के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद सीएम धामी ने खूब सुर्खियां बटोरीं.भाजपा ने चुनाव हारने के बावजूद धामी को फिर कमान सौंपी.और इस तरह वह हारकर भी बाजीगर बन गए.