उत्तराखंड

उत्तराखंड में बनी भोटिया जनजाति पर केंद्रित फिल्म‘पताल ती’ के लिए ऑस्कर की उम्मीदें बढ़ीं

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले से एक अच्छी ख़बर आ रही है. शॉर्ट फिल्मों का "मक्का" कहे जाने वाले "39 वें बुसान शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल"(कोरिया) में पाताल-ती"(holy water) ने टॉप 40 में से फ़ाइनल 14 अपनी जगह बनाई है.

देश दुनिया में क्रियेशन और फ़िल्म मेकिंग का मार्केट जितना बढ़ता जा रहा है उतनी ही नई प्रतिभाओं को अपना हुनर दिखाने की भी सम्भावना बढ़ रही है. इसी क्रम में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले से एक अच्छी ख़बर आ रही है. शॉर्ट फिल्मों का “मक्का” कहे जाने वाले “39 वें बुसान शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल”(कोरिया) में पाताल-ती”(holy water) ने टॉप 40 में से फ़ाइनल 14 अपनी जगह बनाई है. अगर यह फिल्म टॉप 14 में से टॉप एक पर चयनित होती है तो यह ऑस्कर के लिए जाएगी. उत्तराखंड से अब तक चयनित होने वाली यह पहली फ़िल्म है. 111 देशों की 2548 शॉर्ट फिल्मों में टॉप 40 में में पहुँचना रुद्रप्रयाग ही नहीं उत्तराखंड के लिए बड़ी बात है वो भी तब जब कि इस फ़िल्म में कास्ट और क्रू सब स्थानीय है.

“पाताल-ती”(holy water)एक भोटिया जनजाति की लोककथा है जो हमारे हिमालयी क्षेत्रों की कठिन व जटिल परिस्थितियों के साथ उसकी खूबसूरती को भी दर्शाती है.दादा के प्रति पोते के प्यार और लगाव को दर्शाती है.फ़िल्म को जिस मेहनत, लगन और धैर्य के साथ बनाया गया है उसी का परिमाण है कि यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुँच गई है. UK 13 प्रोडक्शन के 5 युवाओं में मुख्यतः दसज्यूला कांडई के ग्राम क्यूड़ी के संतोष रावत के निर्देशन में बनी फिल्म पाताल ती में सिनेमेटोग्राफी बिट्टू रावत ग्राम जाखणी, कैमरा दिव्यांशु रौतेला सिल्ली अगस्त्यमुनि, एसोशिएट प्रोड्यूसर रजत बर्त्वाल ग्राम गोरणां तथा एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेंद्र रौतेला की अहम भूमिका है.

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दिव्यांशु रौतेला टीम में सबसे छोटा है जिसने कैमरे का काम बखूबी निभाया है. 111 देशों की 2548 शॉर्ट फिल्मों में टॉप 40 में 14वें स्थान पर इन युवाओं की मेहनत और उनके जज्बे को जगह मिलना बहुत बड़ी उपलब्धि है.हमें गर्व है कि ये हमारे छोटे से जिले के नवयुवक हैं जिन्होंने आने वाले कई युवाओं को एक नई दिशा की ओर सम्भावने तलाशने हेतु प्रेरित किया. फ़िल्म में पर्दे पर मुख्य भूमिका में गोपेश्वर के बाल कलाकार आयुष रावत, ग्राम लाता के धन सिंह राणा ,कमला कुंवर हैं तो पर्दे के पीछे मुकुंद नारायण, आयुष वशिष्ठ व अक्षत नाट्य संस्था गोपेश्वर और मूल रूप से मयकोटी के रहने वाले विजय वशिष्ठ भी हैं.

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