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बदरीनाथ धाम कपाट बंद प्रक्रिया के तीसरे दिन वेद-ऋचाओं का वाचन हुआ बंद

रविवार शाम गर्भगृह से वेद–उपनिषद ग्रंथों की हुई विदाई, 25 नवंबर को बंद होंगे कपाट

चमोली। श्री बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने की चल रही पंच-पूजा प्रक्रिया रविवार को तीसरे दिन पहुंच गई। परंपरा के अनुसार आज गर्भगृह में वेद–उपनिषद पूजा सम्पन्न हुई, जिसके बाद देर शाम से धाम में वेद ऋचाओं का वाचन शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया।

सुबह मुख्य पुजारी बंदे रावल अमरनाथ नंबूदरी और बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की उपस्थिति में धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और वेदपाठी रविंद्र भट्ट ने पवित्र वैदिक ग्रंथों को गर्भगृह में पूजा-अर्चना हेतु रावल को सौंपा। पूजा के पश्चात सांयकाल इन ग्रंथों को धर्माधिकारियों और वेदपाठियों के सुपुर्द कर गर्भगृह से विधिवत बाहर लाया गया। इसके साथ ही धर्माधिकारी द्वारा वेद ऋचाओं को पारंपरिक तरीके से बंद किया गया।

अब रविवार शाम से बदरीनाथ धाम के गर्भगृह में वेद ऋचाओं का नियमित वाचन शीतकाल के लिए रुक जाएगा। हालांकि नित्य पूजा, अभिषेक और नियमित धार्मिक अनुष्ठान जारी रहेंगे।

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25 नवंबर को कपाट होंगे बंद

बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को शुभ मुहूर्त में विधिवत बंद किए जाएंगे। इससे पूर्व पंच-पूजा की परंपरा के तहत बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) द्वारा सभी वैदिक अनुष्ठानों का क्रमबद्ध पालन किया जा रहा है।

वेद वाचन बंद होने के साथ ही रविवार शाम से नर-नारायण पर्वत, गंधमादन और बदरीपुरी की कंदराओं में सदियों से गूंजती रही वेद ऋचाओं की ध्वनि अब शीतकाल की समाप्ति तक शांत हो जाएगी।

अब तक 16.42 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

मंदिर समिति के अनुसार कपाट खुलने से लेकर 22 नवंबर 2025 तक कुल 16,42,510 भक्त भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुके हैं। इनमें

  • 9,05,522 पुरुष,
  • 6,10,604 महिला,
  • 1,26,384 बच्चे शामिल हैं।

इस वर्ष की यात्रा लगातार उच्च तीर्थाटन संख्या दर्ज कर रही है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बड़ी मजबूती मिली है।

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