उत्तराखंड

उत्तराखंड में 300 से अधिक पुलों की बढ़ेगी भार वहन क्षमता, सरकार ने B से A ग्रेड के लिए 334 पुल किए हैं चिह्नित

उत्तराखंड में 300 से अधिक पुलों की बढ़ेगी भार वहन क्षमता, सरकार ने B से A ग्रेड के लिए 334 पुल किए हैं चिह्नित
उत्तराखंड में 2000 से अधिक छोटे-बड़े पुल हैं जिनमें से कई पुल देश की आजादी के समय के हैं। इन पुलों पर तब से ही वाहनों का लगातार आवागमन हो रहा है। अब धामी सरकार की 300 से अधिक पुलों की भार क्षमता बढ़ाने की योजना है। इन पुलों को बी श्रेणी से ए श्रेणी में लाया जाएगा। इसके तहत इनकी चौड़ाई बढ़ाते हुए इन्हें और अधिक मजबूत किया जाएगा।

प्रदेश में जल्द ही 300 से अधिक पुलों की भार वहन क्षमता बढ़ाने की तैयारी है। इन पुलों को बी श्रेणी से ए श्रेणी में लाया जाएगा। इसके तहत इनकी चौड़ाई बढ़ाते हुए इन्हें और अधिक मजबूत किया जाएगा। यह कार्य एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के सहयोग से पूरा किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस कार्य को कराने के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है।

उत्तराखंड में 2000 हजार से अधिक छोटे व बड़े पुल हैं। इनमें कई पुल ऐसे हैं जो देश को स्वतंत्रता प्राप्ति के समय के हैं। इन पुलों पर तब से ही वाहनों का लगातार आवागमन हो रहा है। सीमांत प्रदेश होने के कारण इस समय यहां सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य हो रहा है। इसका उद्देश्य यह कि आवश्यकता पड़ने पर सेना के वाहन आसानी से आवागमन कर सकें।

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सड़कों का कार्य तो हो रहा है लेकिन पुराने पुल सेना अथवा निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाली बड़ी मशीनों का भार वहन करने में सक्षम नहीं है। इसे देखते हुए इन पुलों को उच्चीकृत करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने इन पुलों का सर्वे करते हुए तकरीबन 300 से अधिक पुलों को इन्हें बी श्रेणी से एक श्रेणी में लाने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की। इसके बाद इसे कार्य को एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से कराने की स्वीकृति का प्रस्ताव केंद्र को भेजा। केंद्र ने इसे अब अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।

पहले चरण में 43 की श्रेणी के लिए डीपीआर बनाई गई है। इनमें पौड़ी में 15, अल्मोड़ा जिले में आठ पुल, बागेश्वर में 10, पिथौरागढ़ में नौ, चमोली जिले में चार और देहरादून में एक पुल का उच्चीकरण शामिल है।
सचिव लोक निर्माण विभाग डा पंकज कुमार पांडेय ने कहा कि एडीबी के साथ कुल 1610 करोड़ की कार्ययोजना प्रस्तावित है। इसके लिए जल्द करार पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसमें यह देखा जाएगा कि पुलों के उच्चीकरण के लिए कितनी राशि मिल रही है। उस हिसाब से पुलों का उच्चीकरण किया जाएगा। जो पुल शेष रह जाएंगे, उन्हें राज्य अपने खर्च से उच्चीकृत करेगा।

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