चारधाम/पर्यटन
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केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, “हर हर महादेव” के जयघोषों से गूंज उठा धाम

चारधाम यात्रा 2025 में 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिनमें से 17.68 लाख भक्तों ने केवल केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना की।

रुद्रप्रयाग।
भैया दूज के पावन अवसर पर आज, गुरुवार 23 अक्टूबर 2025 को प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट विधिवत रूप से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस अवसर पर पूरी केदारपुरी “हर हर महादेव” और “जय बाबा केदार” के उद्घोषों से गूंज उठी।

कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर को फूलों से भव्य रूप में सजाया गया और सेना के बैंड की भक्ति धुनों और श्रद्धालुओं के जयघोषों ने पूरा वातावरण भक्तिमय कर दिया। ठंड के बावजूद लगभग 10,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षात्कार किया। मुख्य पुजारी बागेश लिंग और आचार्यगणों द्वारा ब्रह्ममुहूर्त में यज्ञ, हवन और समाधि पूजन संपन्न किया गया। इसके पश्चात भगवान केदारनाथ के शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों — कुमजा, बुकला, ब्रह्मकमल आदि — से ढककर समाधि रूप दिया गया और गर्भगृह के द्वार विधिवत बंद कर दिए गए।

कपाट बंद होने के पश्चात मंदिर के पूर्वी और दक्षिणी द्वार बंद किए गए। इसके बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली ने मंदिर की परिक्रमा की और “हर हर महादेव” के उद्घोषों के बीच रामपुर के लिए रवाना हुई। डोली के साथ सेना का बैंड, पुजारीगण, डोली वाहक और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि चारधाम यात्रा 2025 में 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिनमें से 17.68 लाख भक्तों ने केवल केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना की। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 1.25 लाख अधिक है।

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मुख्यमंत्री ने यात्रा को सफल, सुव्यवस्थित और सुरक्षित बताते हुए सभी विभागों, सुरक्षा बलों, मंदिर समिति और स्थानीय जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे शीतकालीन गद्दीस्थलों की यात्रा भी करें ताकि श्रद्धा और आस्था के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिले।

कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार की पंचमुखी डोली आज रामपुर में रात्रि विश्राम करेगी, कल गुप्तकाशी के श्री विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी, और इसके बाद अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी, जहां सर्दियों के दौरान बाबा केदार की पूजा-अर्चना संपन्न होगी।

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