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वन विभाग का फॉरेस्ट फायर को लेकर जन जागरूकता अभियान निरंतर जारी

मसूरी, देहरादून।
वन विभाग, फॉरेस्ट फायर सीजन

उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन शुरू हो चुका है। हर साल फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आता है. प्रशासनिक तौर पर 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन के तौर पर देखा जाता है। वन अधिकारी लगातार ग्राउंड ज़ीरो पर कमर्चारियों का मनोबल बढ़ाने के साथ औचक निरीक्षण करते हुए भी नज़र आ रहे हैं। अपर प्रमुख वन संरक्षक, वनाग्नि एंव आपदा प्रबंधन उत्तराखंड निशांत वर्मा द्वारा मसूरी वन प्रभाग  की रायपुर रेंज अंतर्गत मालसी स्थित मास्टर कंट्रोल रूम  और क्रू स्टेशन राजपुर बीट का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान मालसी कंट्रोल रूम में वनाग्नि नियंत्रण हेतु किये जा रहे उपायों की जानकारी लेते हुए आवश्यक सुझाव दिये गये। मसूरी वन प्रभाग में फारेस्ट फायर नियंत्रण हेतु मालसी कंट्रोल रूम में  7 रेंजों में स्थित 43 क्रू स्टेशन और 16 बेस स्टेशन द्वारा सूचना प्राप्त की जा रही है। मास्टर कंट्रोल रूम में वनाग्नि नियंत्रण और सूचना हेतु उपयोग किये जा रहे उत्तराखंड फारेस्ट फायर ऐप, FSI फारेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम , फायर डेंजर रेटिंग इंडेक्स फीडबैक सिस्टम आदि के सम्बन्ध में जानकारी ली और बेहतरी के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। इस अवसर पर उप प्रभागीय वनाधिकारी उदय गौड़, रेंज अधिकारी राकेश नेगी, और अधीनस्थ कर्मचारी उपस्थित रहे। वही फॉरेस्ट फायर को लेकर भी मौसम विभाग ने कड़ी चेतावनी दी है। जैसे-जैसे पारा ऊपर चढ़ेगा उत्तराखंड में बहुमूल्य वन संपदा पर उतना ही फॉरेस्ट फायर का खतरा बढ़ेगा। वन विभाग ने इसको लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है। राज्य में अब तक आग लगने की 62 घटनायें सामने आ चुकी हैं। पिछले सालों की अपेक्षा में यह कम हैं।  हर साल हजारों हेक्टेयर भूमि फॉरेस्ट फायर की वजह से स्वाह हो जाती है. पिछले 10 सालों में फॉरेस्ट फायर की वजह से 26,000 हेक्टेयर जंगल से ज्यादा जलकर खाक हो गया है। जंगल में लगने वाली आग में मानवीय हस्तक्षेप की घटनाओं को देखते हुए लगातार फॉरेस्ट फायर को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जाता है. जिससे लोगों के समझ में आए कि उनके द्वारा अज्ञानतावश किए जा रहे इस काम से मानव समाज और धरती का कितना नुकसान हो रहा है।

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निशांत वर्मा, अपर प्रमुख वन संरक्षक,वनाग्नि एंव आपदा प्रबंधन विभाग

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