चमोली/देहरादून। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार रात चमोली जिले में बादल फटने से नदियों और नालों में अचानक उफान आ गया और भूस्खलन के कारण कई घर मलबे में दब गए। अब तक दो लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जबकि 10 से अधिक लोगों के लापता होने की सूचना है।
नंदानगर में सबसे ज्यादा नुकसान
चमोली के जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि नंदानगर तहसील के घाट क्षेत्र में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। कुंत्री लांगाफली वार्ड में छह घर पूरी तरह मलबे में दब गए, जबकि धुर्मा गांव में पांच मकानों को भारी नुकसान पहुंचा है। कुंत्री लांगाफली गांव में आठ लोग लापता बताए जा रहे हैं। इनमें कुंवर सिंह (42), उनकी पत्नी कांता देवी (38), बेटे विकास (10) और विशाल (9), नरेंद्र सिंह (40), जगदंबा प्रसाद (70), उनकी पत्नी भागा देवी (65) और देवेश्वरी देवी (65) शामिल हैं। वहीं धुर्मा गांव से गुमान सिंह (75) और ममता देवी (38) के लापता होने की पुष्टि हुई है।
तेजी से चल रहा राहत व बचाव कार्य
आपदा की सूचना मिलते ही प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। एसडीआरएफ की टीम नंदप्रयाग पहुँच चुकी है, जबकि एनडीआरएफ की टीम गोचर से मौके पर रवाना हो चुकी है। तीन एंबुलेंस और मेडिकल टीम को प्रभावित क्षेत्र भेजा गया है। जिला प्रशासन ने बताया कि राहत सामग्री भी मौके पर पहुँचाई जा रही है।
देहरादून में 200 परिवार जलभराव में फंसे
राजधानी देहरादून के रायवाला क्षेत्र में भी भारी बारिश का असर दिखा है। यहाँ 200 से अधिक परिवार पानी में घिर गए हैं, जिन्हें निकालने के लिए एसडीआरएफ लगातार प्रयास कर रही है। भूस्खलन की आशंका को देखते हुए मसूरी मार्ग को एहतियातन बंद कर दिया गया है और कोठालगेट से आगे लोगों की आवाजाही रोक दी गई है।
भारी बारिश के चलते नदी-नालों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। खासकर मोक्ष नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका है। प्रशासन ने आसपास के गाँवों के सैकड़ों परिवारों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।