उत्तराखंड में 6,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर बसा जोशीमठ एक खूबसूरत हिल स्टेशन है. नेचर की गोद में बसे इस शहर को लेकर एक हैरान कर देने वाली रिपोर्ट सामने आयी है. जिसके मुताबिक जोशीमठ में भूधंसाव होने के साथ ही घरों के अंदर दीवारों पर व बाहर दरारें आ रही हैं. यहाँ बने ज्यादातर मकानों में दरारें पड़ने लगी हैं. कई घरों के आंगन जमीन के अंदर धंसने शुरू हो गए हैं. शहर की सड़कें जगह जगह पर धंस गई हैं. लोगों के अंदर काफी ज्यादा खौफ है और लोग टूटे मकानों में जान खतरे में डालकर रहने को मजबूर हैं. सीबीआरआइ रुड़की के विज्ञानी डा. शांतनु सरकार के अनुसार ग्रामीणों ने बताया कि जोशीमठ में यह बदलाव पिछले साल अक्टूबर में हुई भारी बारिश के बाद से दिख रहा है. ग्रामीणों की शिकायतों के बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने टीम गठित कर जोशीमठ का दौरा किया.
इसके बाद विज्ञानियों ने सरकार को रिपोर्ट बनाकर सौंप दी है. सीबीआरआइ रुड़की के विज्ञानी डा. शांतनु सरकार ने बताया कि बीते माह अध्ययन को जोशीमठ गई टीम ने 10-12 घरों का निरीक्षण किया, जिनकी दीवारों एवं घर के बाहर दरारें और धंसाव था. बताया कि वहां पर पानी की निकासी नहीं है, जबकि निर्माण कार्य बढ़ रहा है. स्लोप में घर बनाए गए हैं और उनका कंस्ट्रक्शन डिजाइन ठीक नहीं है. साथ ही सोइल और मैटेरियल कमजोर हैं. इसलिए जोशीमठ में लगातार निगरानी और विस्तृत जांच की जरूरत है. बता दें की जोशीमठ शहर में लंबे समय से भू-धंसाव हो रहा है. वर्ष 1975 में मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख हुआ है. विज्ञानियों के अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि जोशीमठ में जल निकासी का अभाव, भवनों का कंस्ट्रक्शन उचित तरीके से नहीं होना, नदी से भू-कटाव, तेजी से हो रहे निर्माण, प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से इस क्षेत्र का संवेदनशील होना भवनों में दरार आने और धंसाव की वजह हैं.